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Up Kiran, Digital Desk: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नजदीक आते ही, सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने विपक्षी पार्टियों, खासकर तेजस्वी यादव की राष्ट्रीय जनता दल (RJD), को हराने के लिए एक रणनीतिक कदम उठाया है। जहां विपक्ष नीतीश कुमार की सरकार पर भ्रष्टाचार, कुशासन और बढ़ती उम्र को लेकर लगातार हमलावर है, वहीं एनडीए अपनी जन-कल्याणकारी योजनाओं और केंद्र-राज्य सरकार के गठबंधन को एक मजबूत बचाव के रूप में पेश कर रहा है।

जीएसटी में राहत: आम जनता के लिए सीधा फायदा

केंद्र सरकार ने हाल ही में जीएसटी दरों में कटौती की है, ताकि महंगाई के खिलाफ विपक्ष के आरोपों को कमजोर किया जा सके। इसके परिणामस्वरूप, टीवी, कार, बीमा जैसे उत्पादों पर जीएसटी दरों में कमी आई है, जिसका सीधा फायदा आम लोगों को हुआ है। भले ही विपक्ष इसे चुनावी हथकंडा मानता हो, लेकिन कीमतों में गिरावट से आम आदमी की जेब पर सकारात्मक असर पड़ा है। इसके अलावा, 12 लाख रुपये तक की सालाना आय पर आयकर छूट की घोषणा भी एनडीए के पक्ष में काम कर रही है। इस निर्णय का फायदा बिहार में 6 लाख से ज्यादा करदाताओं को मिलेगा, जो स्वाभाविक रूप से केंद्र सरकार के प्रति आभारी हो सकते हैं।

महिला सशक्तिकरण: मजबूत चुनावी हथियार

नीतीश कुमार का महिला सशक्तिकरण पर फोकस अब एनडीए के लिए एक बड़ा चुनावी हथियार बन चुका है। पंचायतों और सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए आरक्षण के साथ-साथ जीविका समूहों के माध्यम से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। जीविका से जुड़ी लगभग 1.5 करोड़ महिलाएं अब आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही हैं। हाल ही में केंद्र सरकार ने जीविका समूहों के लिए 105 करोड़ रुपये का फंड ट्रांसफर किया है, जो इस पहल को और अधिक प्रभावी बना रहा है। इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार की घोषणा, जिसमें हर परिवार की एक महिला को 10 हजार रुपये की नकद सहायता मिलती है, एक बड़े बदलाव की ओर इशारा करती है।

मुफ्त बिजली और पेंशन योजनाएं: लोकप्रियता में वृद्धि

विपक्ष भले ही इसे "नकल" कहे, लेकिन नीतीश सरकार की मुफ्त बिजली और बढ़ी हुई पेंशन योजनाएं राज्य के नागरिकों के बीच बेहद लोकप्रिय हो रही हैं। 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली की योजना से राज्य के एक करोड़ से ज्यादा लोगों को लाभ हुआ है। यह मॉडल दिल्ली और झारखंड जैसे राज्यों के ‘फ्रीबीज’ नीति से प्रेरित है, जिसे सत्ता में बने रहने का एक प्रभावी तरीका माना जाता है। इसके अलावा, सामाजिक सुरक्षा पेंशन को 400 रुपये से बढ़ाकर 1100 रुपये करने से एक करोड़ से ज्यादा बुजुर्गों, विधवाओं और दिव्यांगों को सीधा फायदा हुआ है।