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Up Kiran, Digital Desk: कोरोना वायरस ने एक बार फिर भारत में दस्तक दे दी है और इस बार यह नए वेरिएंट्स के साथ आया है। पिछले कुछ हफ्तों में कोरोना के मामलों में लगातार इज़ाफा हुआ है और अब तक एक हजार से ज़्यादा लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं। सोशल मीडिया पर लॉकडाउन की अटकलें भी तेज़ हो गई हैं। मगर क्या वाकई लॉकडाउन जैसी स्थिति आ सकती है और अगर हां, तो इसके नियम क्या होंगे आइए इस पूरे मामले को समझते हैं—तथ्यों और विशेषज्ञों की राय के साथ।
भारत में कोरोना के नए वेरिएंट्स
इस बार जो कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं, वे मुख्य रूप से दो सब-वेरिएंट्स से जुड़े हैं—JN.1 और LF.7। ये दोनों ओमिक्रॉन वेरिएंट के ही सब-वेरिएंट हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, देशभर में अब तक JN.1 वेरिएंट से संक्रमित लोगों की संख्या सबसे अधिक है।
डॉक्टर्स और वायरोलॉजिस्ट का कहना है कि इन नए वेरिएंट्स की संक्रमण दर भले ही तेज़ है, मगर इनमें गंभीर बीमारी या मृत्यु की संभावना बेहद कम है। यानी आपको घबराने की नहीं, बल्कि सतर्क रहने की ज़रूरत है।
सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है "लॉकडाउन"
जैसे ही कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी हुई। सोशल मीडिया पर #LockdownAgain और #COVIDReturns जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। मगर ज़रा रुकिए! लॉकडाउन कोई सामान्य प्रशासनिक निर्णय नहीं होता, इसे लागू करने के पीछे वैज्ञानिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर परिस्थितियाँ होती हैं।
कब लगता है लॉकडाउन, जानिए नियम
सरकार किसी भी तरह का लॉकडाउन तभी लागू करती है जब संक्रमण की रफ्तार बेकाबू हो जाए, अस्पतालों में बेड्स और ऑक्सीजन की कमी होने लगे और सबसे अहम, मृत्यु दर में तेज़ बढ़ोतरी हो लॉकडाउन हमेशा "आखिरी विकल्प" होता है। इससे पहले सरकारें आम तौर पर ये कदम उठाती हैं भीड़भाड़ वाले इलाकों में पाबंदियां, मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग को सख्ती से लागू करना, स्कूल, कॉलेज या मॉल्स को अस्थायी रूप से बंद करना और यात्रा पर सीमित प्रतिबंध इसलिए अगर आप सोच रहे हैं कि लॉकडाउन कल सुबह से लग सकता है, तो ऐसा फिलहाल होता नहीं दिख रहा है।