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Up Kiran, Digital Desk: हैदराबाद को और स्वच्छ और आधुनिक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (GHMC) ने तूफानी पानी की नालियों (Stormwater Drains) को साफ़ करने के लिए रोबोट का इस्तेमाल शुरू किया है। इस पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत बेगमपेट डिवीजन के सोमाजीगुडा में की गई है, जहाँ 'बैंडिकूट' नाम के एक एडवांस्ड रोबोट को पहली बार नाले की सफ़ाई के लिए उतारा गया।

क्यों पड़ी रोबोट की ज़रूरत?

अब तक नालों की सफ़ाई का काम इंसानों द्वारा किया जाता रहा है, जिसे 'मैनुअल स्कैवेंजिंग' कहते हैं। यह काम न सिर्फ़ बेहद ख़तरनाक और अमानवीय है, बल्कि इसमें सफ़ाई कर्मचारियों की जान का भी ख़तरा बना रहता है। ज़हरीली गैसों और गंदगी के बीच काम करना उनकी सेहत के लिए बहुत हानिकारक होता है। इसी अमानवीय प्रथा को जड़ से ख़त्म करने के लिए GHMC ने इस रोबोटिक तकनीक को अपनाया है।

कैसे काम करता है यह 'बैंडिकूट' रोबोट?

यह सिर्फ़ एक मशीन नहीं, बल्कि एक स्मार्ट सफ़ाई समाधान है:

गहराई तक पहुँच: यह रोबोट 10 मीटर गहरे मैनहोल में उतरकर आसानी से सफ़ाई कर सकता है।

रोबोटिक हाथ: इसके रोबोटिक हाथ कीचड़, गाद और ठोस कचरे को उठाकर बाहर बाल्टी में जमा करते हैं।

स्मार्ट सेंसर और कैमरे: इसमें कैमरे और ज़हरीली गैसों का पता लगाने वाले सेंसर लगे हैं, जिससे यह पानी के तेज़ बहाव में भी सुरक्षित तरीक़े से काम कर सकता है।

इस मौके पर शहर की मेयर विजया लक्ष्मी आर गडवाल और कमिश्नर रोनाल्ड रॉस भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि यह तकनीक सफ़ाई कर्मचारियों की सुरक्षा और सम्मान के लिए एक क्रांति है।

इस पहल का मुख्य उद्देश्य शहर में मैनुअल स्कैवेंजिंग को पूरी तरह से ख़त्म करना, सफ़ाई कर्मचारियों के जीवन को बेहतर बनाना और मानसून से पहले नालियों को साफ़ करके शहरी बाढ़ जैसी समस्याओं को रोकना है। अगर यह पायलट प्रोजेक्ट सफल रहता है, तो जल्द ही इस तकनीक का इस्तेमाल पूरे शहर में किया जाएगा।

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