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Up Kiran, Digital Desk: लगभग पूरी दुनिया महाशक्ति अमेरिका के दबाव में है। मगर अब विश्व राजनीति एक नया मोड़ लेने वाली है। रूस, भारत और चीन की तिकड़ी करीब आ रही है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का सपना है कि इस तिकड़ी की मदद से शक्तिशाली अमेरिका और डोनाल्ड ट्रंप जैसे नेताओं को वश में किया जा सके। मगर इस तिकड़ी का एक साथ आना आसान नहीं है। इसके लिए बहुत प्रयास करने होंगे।

पुतिन का सपना

पुतिन का सपना एक ऐसी दुनिया का है जहां अमेरिका का प्रभुत्व खत्म हो जाए, ताकि दूसरे देशों की शक्ति संतुलित हो। उनका मानना है कि रूस, भारत और चीन मिलकर एक ऐसा गठबंधन बना सकते हैं जो अमेरिकी प्रभाव को कमज़ोर कर दे। इस तिकड़ी का उद्देश्य नई आर्थिक और सैन्य साझेदारियों के माध्यम से वैश्विक शक्ति का पुनर्वितरण करना है। भारत और चीन की बढ़ती अर्थव्यवस्थाएँ और रूस का सैन्य अनुभव इस गठबंधन को मज़बूत बनाते हैं।

भारत: भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति और आर्थिक विकास के साथ गठबंधनों को संतुलित करता है।

चीन: चीन अपनी तकनीकी और आर्थिक शक्ति से अपने वैश्विक प्रभाव को बढ़ा रहा है।

रूस: रूस अपने ऊर्जा संसाधनों और सैन्य तकनीक के ज़रिए इस त्रिकोण को मज़बूत कर रहा है।

अमेरिकी चिंताएँ और हस्तक्षेप

यूक्रेन को सहायता: अमेरिका रूस को उलझाने के लिए यूक्रेन को हथियार भेज रहा है, ताकि रूस का ध्यान भटक जाए और वह भारत और चीन के साथ अपने गठबंधन पर ध्यान केंद्रित न कर पाए।

ऑस्ट्रेलिया और जापान पर दबाव: पेंटागन ऑस्ट्रेलिया और जापान को चीन के ख़िलाफ़ खड़ा करने की कोशिश कर रहा है ताकि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी प्रभाव बरकरार रहे।

भारत पर दबाव: अमेरिका भारत को सस्ता रूसी तेल ख़रीदने से रोकने की कोशिश कर रहा है। साथ ही, वह भारत को NATO+ में शामिल करके चीन के ख़िलाफ़ इस्तेमाल करना चाहता है, वही भारत शांति चाहता है।

रूसी अर्थव्यवस्था पर प्रहार: अमेरिका ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए, मगर इसका उल्टा असर हुआ। भारत और चीन ने रूस से तेल ख़रीद बढ़ा दी। इससे रूसी अर्थव्यवस्था मज़बूत हो रही है।

डॉलर का डर: अमेरिका को डर है कि चीन की बढ़ती ताकत और ब्रिक्स देशों के डॉलर से दूर जाने के विचार से उनकी मुद्रा की वैश्विक स्थिति कमज़ोर हो सकती है। ट्रम्प उस पर टैरिफ लगाने की धमकी दे रहे हैं।

अमेरिकी सीनेटर की चेतावनी

लिंडसे ग्राहम जैसे अमेरिकी सीनेटरों ने चेतावनी दी है कि अगर भारत और चीन रूस के साथ सहयोग करते हैं तो उन्हें परिणाम भुगतने होंगे। हालाँकि, रूस ने ग्राहम को आतंकवादी और चरमपंथी घोषित कर दिया है। इससे पता चलता है कि अमेरिका चाहता है कि ये देश अपने हितों को प्राथमिकता दें, न कि अपने हितों को। मगर भारत और चीन ने पश्चिमी "फूट डालो और राज करो" की नीति को नकार दिया है।

भारत-चीन सहयोग

भारत और चीन ने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए कदम उठाए हैं। हाल ही में विदेश मंत्री जयशंकर ने बीजिंग में अपने चीनी समकक्ष से सीमा तनाव कम करने पर चर्चा की। चीन भारत के साथ संबंधों को सामान्य बनाना चाहता है। ये सहयोग पुतिन के सपने को साकार करने की दिशा में एक कदम है। इस बीच, पश्चिमी मीडिया रूस को "अकेला भेड़िया", चीन को "आर्थिक हमलावर" और भारत को "अनिश्चित साझेदार" के रूप में चित्रित कर रहा है। अमेरिका को डर है कि यह तिकड़ी उसकी वैश्विक स्थिति को चुनौती दे सकती है।

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