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रूस और यूक्रेन के बीच साल भर से भी ज्यादा से जारी जंग थमने का नाम नहीं ले रही है। तो वहीं दुनिया के एक और कोने पर दो मुल्कों के बीच जंग का खतरा पैदा हो गया है। ये इलाका है प्रशांत महासागर का और जिन दो देशों के बीच जंग के हालात बनते दिख रहे है वो है चीन और जापान।

इन दोनों देशों के बीच तनाव की वजह भी वही है जो रूस और यूक्रेन के बीच थी। यानी नाटो यानी वो संगठन जो अमेरिका और यूरोपीय देशों के बीच का एक ऐसा समझौता जिसे रूस हमेशा अपने खिलाफ मानता है।

तो कैसे रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की वजह बना ये तो हम आपको बताएँगे ही। लेकिन उससे पहले हम आपको ये बताते हैं कि नाटो के चलते कैसे चीन ने जापान को खुली धमकी दे दी है।

दरअसल इसी साल जुलाई में लिथुआनिया में नाटो की मीटिंग होने वाली है। यूं तो जापान इसका सदस्य नहीं है लेकिन फिर भी उसके को इसमें हिस्सा लेने के लिए बुलाया गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस मीटिंग में नाटो देशों के साथ जापान का रक्षा क्षेत्र में कोई समझौता हो सकता है।

बस यही बात जापान के पड़ोसी यानी चीन को रास नहीं आ रही है और चीन ने जापान को खुली धमकी दे दी है कि वो नाटो की मीटिंग में शामिल ना हो वरना इस इलाके की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।

चीन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करके कहा है कि जापान समेत हम सभी को इतिहास से सबक लेना चाहिए। किसी भी हरकत से इस इलाके का अमन दांव पर लग सकता है और इससे सभी को नुकसान होने का खतरा है।

जबकि जापान सरकार ये कह चुकी है कि उसके पीछे किशिदा इस मीटिंग में हिस्सा लेने के लिए ले जा सकते हैं। इसके बाद से ही चीन सरकार जापान पर दबाव बनाने के लिए तमाम तरह के हथकंडे इस्तेमाल कर रही है।

माना जा रहा है कि जापान और नाटो के बीच टेक्नोलॉजी और इंटेलिजेंस शेरिंग को लेकर नए सिरे से कोई समझौता हो सकता है। इसके अलावा नाटो प्लस पर भी विचार किया जा सकता है जिसमें भारत और जापान दोनों को इसमें शामिल होने का प्रपोजल दिया जा सकता है।

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