Up Kiran, Digital Desk: भारतीय स्टेट बैंक (SBI), देश का सबसे बड़ा बैंक, ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से एक अहम गुजारिश की है। SBI चाहता है कि RBI बैंकों को कंपनियों के अधिग्रहण (Mergers and Acquisitions - M&A) के लिए फंड (लोन) देने की अनुमति दे।
फिलहाल क्या है नियम?
अभी के नियमों के अनुसार, भारतीय बैंक कंपनियों को किसी दूसरी कंपनी को खरीदने के लिए लोन नहीं दे सकते। इस वजह से, जब कंपनियां किसी बिजनेस को खरीदना चाहती हैं, तो उन्हें अक्सर नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस (NBFCs) का सहारा लेना पड़ता है या फिर बॉन्ड के जरिए फंड जुटाना पड़ता है।
SBI की दलील क्या है?
SBI के चेयरमैन चल्ला श्रीनिवासुलु सेट्टी ने एक इंडस्ट्री इवेंट में कहा कि वे RBI से यह विचार करने का अनुरोध कर रहे हैं कि बैंकों को, कम से कम शुरुआत में बड़ी लिस्टेड कंपनियों के लिए, अधिग्रहण के लिए फाइनेंसिंग की अनुमति दी जाए।
यह मांग ऐसे समय में आई है जब सरकारी बैंकों (PSBs) ने पिछले वित्तीय वर्ष (FY26) की अप्रैल-जून तिमाही में शानदार मुनाफा कमाया है। सभी 12 PSBs ने मिलकर रिकॉर्ड ₹44,218 करोड़ का मुनाफा दर्ज किया, जो पिछले साल की इसी अवधि से 11% ज्यादा है। इनमें से अकेले SBI ने ₹19,160 करोड़ का नेट प्रॉफिट कमाया, जो पिछले साल की तुलना में 12% अधिक है।
क्यों है ये बदलाव ज़रूरी?
PSBs ने अपनी कैपिटल बेस को मजबूत करने और क्रेडिट ग्रोथ को सहारा देने के लिए पिछले तीन वित्तीय वर्षों (FY23 से FY25) में इक्विटी और बॉन्ड के जरिए करीब ₹1.54 लाख करोड़ जुटाए हैं। वित्त मंत्रालय भी इस हफ्ते इन बैंकों के प्रदर्शन की समीक्षा करने वाला है।
अगर RBI, SBI के इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लेता है, तो यह भारतीय कंपनियों के लिए विस्तार की योजना बनाने और अधिग्रहण के जरिए आगे बढ़ने के लिए फंडिंग का एक नया और बेहतर विकल्प खोल सकता है।
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