Up Kiran, Digital Desk: जापान के राजनीतिक इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ चुका है। साने ताकाइची, जिन्होंने हाल ही में जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनने का गौरव प्राप्त किया, ने 465 सीटों वाले निचले सदन में 237 वोटों के साथ यह महत्वपूर्ण मुकाम हासिल किया। अब उच्च सदन की मंजूरी और सम्राट से शपथ लेने के बाद वह आधिकारिक तौर पर जापान की शीर्ष नेता बन जाएंगी। इस सफलता के पीछे केवल राजनीति नहीं, बल्कि उनकी कठिन मेहनत और कड़ी शिक्षा भी है।
शुरुआत से एक लंबा सफर
साने ताकाइची का जन्म 3 मार्च 1961 को जापान के नारा शहर में हुआ था। यह शहर न केवल अपने प्राचीन इतिहास के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि बौद्ध धर्म के उदय स्थल के रूप में भी जाना जाता है। उनके पिता एक ऑटोमोबाइल कंपनी में सेल्समैन थे, जबकि मां नारा पुलिस फोर्स में कार्यरत थीं। उनके परिवार की मेहनत और अनुशासन ने साने को जीवन में ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए प्रेरित किया।
शिक्षा: एक सक्षम नेता का निर्माण
साने की शिक्षा ने उन्हें एक सक्षम नेता बनने की दिशा में मार्गदर्शन किया। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा उनेबी सीनियर हाई स्कूल से प्राप्त की, जहां उनका नेतृत्व और संगठन क्षमता का विकास हुआ। उनकी पढ़ाई में रुचि और सक्रियता उन्हें स्कूल में एक होशियार और प्रेरणादायक छात्रा बनाती थी। इसके बाद, साने को उच्च शिक्षा के लिए कोबे यूनिवर्सिटी भेजा गया। यह विश्वविद्यालय जापान के प्रमुख पब्लिक रिसर्च यूनिवर्सिटीज में से एक है, और यहां उन्होंने बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में ग्रेजुएशन किया।
मास्टर्स की डिग्री और प्रशासनिक दृष्टिकोण
स्नातक के बाद साने ने मात्सुशिता इंस्टीट्यूट ऑफ गवर्नमेंट एंड मैनेजमेंट से मास्टर्स की डिग्री हासिल की। इस संस्थान की स्थापना पैनासोनिक के संस्थापक कोनोसुके मात्सुशिता ने 1979 में की थी, और यह संस्थान सरकारी प्रशासन, नीति निर्माण और प्रबंधन के क्षेत्र में छात्रों को प्रशिक्षित करता है। यहां उन्होंने केवल प्रशासनिक ज्ञान ही नहीं, बल्कि रणनीतिक सोच, नेतृत्व क्षमता और टीम मैनेजमेंट की कला भी सीखी।
मीडिया और राजनीति का सम्मिलन
राजनीति में कदम रखने से पहले, साने ताकाइची ने लेखक और एंकर के रूप में काम किया। मीडिया में उनके अनुभव ने उन्हें जनता से संवाद स्थापित करने, विचार साझा करने और प्रभावी तरीके से अपनी बात रखने की क्षमता प्रदान की। इसके बाद, उन्होंने जापानी राजनीति में अपनी विशेष पहचान बनाई और नीतिगत मामलों में अपनी स्पष्ट राय और निर्णय लेने की क्षमता का परिचय दिया।



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