CBI ने शनिवार को ताला पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी अभिजीत मंडल को 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के बलात्कार और हत्या में कथित संलिप्तता के लिए अरेस्ट किया। ये अस्पताल ताला पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में है।
मंडल को तब अरेस्ट किया गया जब वह सीबीआई अधिकारियों को संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। बाद में, कोलकाता में सीजीओ कॉम्प्लेक्स कार्यालय में सीबीआई अधिकारियों ने उनसे कई घंटों तक पूछताछ की।
एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि पुलिस अधिकारी को सबूत नष्ट करने और अन्य आरोपों के तहत अरेस्ट किया गया है। उन्होंने बताया कि मंडल पर मामले में प्राथमिकी दर्ज करने में देरी करने का भी आरोप है।
अब, मीडिया को सीबीआई द्वारा तैयार किया गया स्टेशन हाउस ऑफिसर का रिमांड नोट विशेष रूप से प्राप्त हुआ है।
अभिजीत मंडल के रिमांड पत्र में क्या लिखा है?
रिमांड पत्र में कहा गया है, "अभिजीत मंडल ने अन्य संभावित आरोपियों के साथ मिलकर संजय रॉय (मुख्य आरोपी) और अन्य को बचाने तथा जांच की दिशा को भटकाने के लिए आपराधिक साजिश रची।"
इसमें कहा गया है, "मंडल अपराध की सूचना मिलने के एक घंटे बाद सुबह 11 बजे घटनास्थल पर पहुंचे और जानबूझकर अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया, इस प्रकार जानबूझकर गलत तथ्य दर्ज किए।"
सीबीआई ने यह भी आरोप लगाया कि मंडल की अस्पताल प्रशासन के साथ मिलीभगत थी।
रिमांड पत्र में कहा गया है, "मंडल अपराध स्थल को सुरक्षित करने में विफल रहा, जिससे वह संजय रॉय को बचाने की कोशिश कर रहा था। उसके कार्यों के कारण महत्वपूर्ण जानकारी को नुकसान पहुंचा। उसने 9 अगस्त को सुबह 10.03 बजे घटना की जानकारी प्राप्त करने के बाद भी एफआईआर दर्ज करने में जानबूझकर देरी की। शाम 7.30 बजे परिवार की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद भी एफआईआर उसी दिन रात 11.30 बजे दर्ज की गई।"
इसमें कहा गया है, "मंडल ने साक्ष्य और जैविक नमूनों को सील करने की प्रक्रिया की वीडियोग्राफी नहीं की, जैसा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) द्वारा अनिवार्य किया गया था। उन्होंने डॉक्टर का जल्दबाजी में अंतिम संस्कार करने की अनुमति दे दी, जबकि परिवार ने दूसरे पोस्टमार्टम की मांग की थी।"
पत्र में कहा गया है, "अभिजीत मंडल ने संजय रॉय के कपड़े, जो उसने अपराध के दिन पहने थे, हासिल करने में दो दिन की देरी की।"
संदीप घोष का रिमांड पत्र
मीडिया ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष का रिमांड नोट भी एक्सक्लूसिव तौर पर हासिल किया है।
नोट में जिक्र किया गया है कि सीबीआई ने अदालत को पॉलीग्राफ टेस्ट की केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) की रिपोर्ट के बारे में सूचित किया है, जिसमें कहा गया है कि संदीप घोष ने जानबूझकर महत्वपूर्ण मुद्दों पर जांचकर्ताओं को धोखा देने की कोशिश की।
पत्र में कहा गया है, "घोष ने वकील से परामर्श करने के बाद भी मामले में एफआईआर दर्ज करने का इरादा नहीं किया।"
इसमें कहा गया है, "9 अगस्त को सुबह 9.58 बजे घटना की जानकारी मिलने के बाद भी वह तुरंत अस्पताल नहीं पहुंचे। उन्होंने हत्या की शिकायत दर्ज नहीं कराई, जिसे अंततः उप-प्रधानाचार्य ने दर्ज कराया, जिन्होंने डॉक्टर द्वारा आत्महत्या की थ्योरी पेश की।"
रिमांड पत्र में यह भी कहा गया है, "संदीप घोष सुबह 10.03 बजे से मंडल के संपर्क में था। हालांकि, उसने घटना को कमतर आंकने की कोशिश की, जिससे सबूत नष्ट हो गए।"
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