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Up Kiran, Digital Desk: स्कूल में बच्चे गणित, विज्ञान, और इतिहास तो सीख लेते हैं, लेकिन क्या वे इस तेज़ी से बदलती दुनिया की असली ज़रूरतों के लिए तैयार हो पाते हैं? आज का दौर सिर्फ किताबी ज्ञान (Bookish Knowledge) माँगने वाले छात्रों का नहीं, बल्कि समस्याओं को सुलझाने वाले और सामने से कमान संभालने वाले लीडर (Leader) का है। इसलिए अब समय आ गया है कि शिक्षा व्यवस्था में नेतृत्व कौशल (Leadership Skills) को भी अकादमिक विषयों (Academic Subjects) के साथ-साथ पढ़ाया जाना चाहिए।

सिर्फ़ अच्छे अंक लाने से बच्चे ज़िन्दगी की दौड़ में आगे नहीं निकल पाते।

नेतृत्व कौशल क्यों ज़रूरी हैं: एक मजबूत नेतृत्व क्षमता वाले छात्र अपने जीवन के हर पहलू में आत्मविश्वास (Confidence) दिखाते हैं। इसकी अहमियत निम्न कारणों से बढ़ जाती है:

समस्या समाधान (Problem Solving): स्कूल में वाद-विवाद या टीम प्रोजेक्ट्स में लीडरशिप सीखने से बच्चे बड़ी से बड़ी चुनौती को समझना और उसे अपनी टीम के साथ मिलकर हल करना सीखते हैं। यह क्षमता उन्हें कार्यस्थल (Workplace) पर सफल बनाती है।

आत्मविश्वास और अभिव्यक्ति: जब एक बच्चा नेतृत्व करता है, तो उसे अपनी बात खुलकर रखना पड़ता है। इससे उसका आत्मविश्वास बढ़ता है और वह बिना झिझके अपने विचार अभिव्यक्त कर पाता है, जो भविष्य के किसी भी करियर में ज़रूरी है।

निर्णय लेना (Decision Making): लीडरशिप में हर कदम पर त्वरित (Quick) और सही फ़ैसले लेने की क्षमता शामिल होती है। स्कूल में ही यह सीखने से, बच्चे बड़े होकर बिना किसी के सहारे महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए तैयार होते हैं।

बेहतर टीमवर्क (Better Teamwork): किसी समूह या प्रोजेक्ट का नेतृत्व करना सीखने से बच्चों में ज़िम्मेदारी (Responsibility), सहानुभूति (Empathy) और दूसरों की राय को सम्मान देने की भावना आती है। यह टीम भावना उनके पर्सनल और प्रोफेशनल जीवन दोनों में सफलता की कुंजी है।