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Up Kiran, Digital Desk: भारत के स्वतंत्रता संग्राम के अमर नायक शहीद उधम सिंह को सम्मान देने के लिए पंजाब और हरियाणा सरकारों ने एक खास पहल की है। 31 जुलाई को दोनों राज्यों में स्कूलों को बंद रखने का निर्णय लिया गया है ताकि देशवासियों, खासकर छात्रों को उनके बलिदान और इतिहास को समझने और याद करने का पर्याप्त समय मिल सके। यह कदम युवाओं में आज़ादी के संघर्ष के प्रति जागरूकता बढ़ाने का भी प्रयास है।
31 जुलाई की तारीख का ऐतिहासिक महत्व
यह दिन इसलिए विशेष माना जाता है क्योंकि इसी दिन 1940 में लंदन में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासक माइकल ओ’डायर की हत्या के आरोप में उधम सिंह को फांसी दी गई थी। उनका यह साहसिक कदम जलियांवाला बाग नरसंहार का प्रतिशोध था, जिसमें 1919 में ब्रिटिश सैनिकों ने निर्दोष भारतीयों पर बेरहमी से गोलियां चलाई थीं। उधम सिंह का यह कृत्य आज भी पंजाब और हरियाणा के लोगों के दिलों में गहरा सम्मान रखता है।
राज्य स्तर पर श्रद्धांजलि के विभिन्न रूप
पंजाब सरकार ने न केवल इस दिन को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है, बल्कि शिक्षा संस्थानों और सरकारी कार्यालयों को भी बंद रखने का आदेश दिया है। इससे यह संदेश जाता है कि शहीदों का सम्मान सिर्फ यादों तक सीमित नहीं, बल्कि इसे व्यवहार में भी उतारना जरूरी है। वहीं हरियाणा सरकार ने भी इस भावना को अपनाते हुए स्कूलों में छुट्टी का एलान किया है, जिससे विद्यार्थी और शिक्षक सभी इस दिन के महत्व को समझ सकें।
शहीद उधम सिंह मार्ग: एक प्रतीकात्मक कदम
पंजाब के भवानीगढ़-सुनाम मार्ग का नाम बदलकर ‘शहीद उधम सिंह मार्ग’ करने की घोषणा ने इस दिन की महत्ता को और भी बढ़ा दिया है। यह मार्ग उधम सिंह के पैतृक स्थान से होकर गुजरता है, जिससे उनके जीवन की गाथा सड़क के हर यात्री तक पहुंच सकेगी। इस कार्यक्रम में राज्य के बड़े नेता भी उपस्थित रहेंगे, जो इस ऐतिहासिक दिन की गरिमा को दर्शाता है।
कैसे मनाया जाता है शहीद उधम सिंह जयंती?
पंजाब और हरियाणा में इस दिन को देशभक्ति के भाव से मनाने के लिए कई आयोजन होते हैं। इनमें प्रमुख हैं मूर्तियों पर पुष्प अर्पण, विद्यालयों में भाषण और निबंध प्रतियोगिताएं, और उधम सिंह के जीवन पर आधारित वृत्तचित्रों का प्रदर्शन। साथ ही, जलियांवाला बाग नरसंहार जैसे क्रूर इतिहास को याद करते हुए सामाजिक जागरूकता फैलाने के लिए कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। सुनाम में विशेष जुलूस निकाले जाते हैं, जहां बड़ी संख्या में लोग एकजुट होकर शहीदों को नमन करते हैं।
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