साइंटिस्ट मंगल ग्रह की भूमध्य रेखा के पास पानी के जमने की खोज से शॉक्ड हैं, जिसे बर्फ भी कहा जाता है। यह क्षेत्र ग्रह के उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों जितना ही गर्म है। अब तक साइंसदानों का मानना था कि यहां बर्फ का मिलना नामुमकिन है। यह नई खोज मंगल ग्रह पर पानी की मौजूदगी के बारे में जानकारी दे सकती है और भविष्य के मंगल मिशनों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के अंतरिक्ष यान ने मंगल ग्रह पर पानी के जमने की खोज की है। सन् 2016 में पहुंचे एक्सोमार्स ट्रेस गैस ऑर्बिटर (टीजीओ) ने सबसे पहले ये खोज की। इसके बाद, 2003 से मंगल की परिक्रमा कर रहे मार्स एक्सप्रेस मिशन ने भी पानी के जमने की खोज की। इस खोज के लिए शोध स्विट्जरलैंड के बर्न विश्वविद्यालय में पीएचडी छात्र एडम वैलेंटाइन द्वारा किया गया था। वह अब ब्राउन विश्वविद्यालय में पोस्टडॉक्टोरल शोधकर्ता हैं। उनकी टीम के शोध के परिणाम दस जून को नेचर जियोसाइंस पत्रिका में प्रकाशित हुए।
ये जल हिमपात थार्सिस क्षेत्र में पाया गया, जो मंगल ग्रह के सबसे बड़े ज्वालामुखी क्षेत्रों का घर है, जिसमें 12 विशाल ज्वालामुखी शुमार हैं। इनमें ओलंपस मॉन्स भी शामिल है, जो न केवल मंगल ग्रह का सबसे बड़ा ज्वालामुखी है, बल्कि 29.9 किलोमीटर की ऊंचाई पर पूरे सौर मंडल की सबसे ऊंची चोटी भी है। हिमपात के ये धब्बे थोड़े समय के लिए दिखाई देते हैं, जो सूरज की रोशनी के आने के तुरंत बाद गायब हो जाते हैं।
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