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Up Kiran, Digital Desk: शरद पूर्णिमा, सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि उम्मीद और विश्वास की एक पूरी रात है। यह साल की वो एकमात्र पूर्णिमा है, जिसका हम सभी को बेसब्री से इंतज़ार रहता है। ऐसी मान्यता है कि इस रात चाँद अपनी पूरी 16 कलाओं से खिलकर धरती पर अमृत की वर्षा करता है। बड़े-बुजुर्ग कहते हैं कि इस रात को खुले आसमान के नीचे कुछ समय बिताना स्वास्थ्य के लिए वरदान जैसा होता है।
कब है शरद पूर्णिमा 2025: इस साल शरद पूर्णिमा की तारीख को लेकर मन में कोई दुविधा न रखें। पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि शनिवार, 11 अक्टूबर 2025 की सुबह 03:37 बजे शुरू होगी और इसका समापन रविवार, 12 अक्टूबर 2025 की सुबह 03:09 बजे होगा। इसलिए, उदयातिथि को मानते हुए शरद पूर्णिमा 11 अक्टूबर, दिन शनिवार को ही मनाई जाएगी।
क्या है अमृत वर्षा का समय:ज्योतिषियों का मानना है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा से निकलने वाली किरणें अमृत के समान हो जाती हैं। 11 अक्टूबर की रात 09:12 बजे से लेकर देर रात 12:32 बजे के बीच यह प्रभाव सबसे शक्तिशाली होता है। यही वह समय है जब आकाश से अमृत की बूंदें बरसती हैं और धरती पर मौजूद हर चीज़ में उसका अंश समा जाता है।
खीर का क्या है महत्व: इस रात की सबसे ख़ास परंपरा है चावल की खीर बनाकर उसे खुले आसमान के नीचे रखना। इसके पीछे का विज्ञान और आस्था दोनों जुड़े हैं। चावल को चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है और दूध को अमृत का। जब रात भर चंद्रमा की अमृत वाली किरणें खीर पर पड़ती हैं, तो वह प्रसाद के साथ-साथ एक औषधि भी बन जाती है। अगले दिन सुबह इस खीर को खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है, ऐसी मान्यता है।
सिर्फ खीर ही नहीं, यह रात सेहत के लिए है ख़ास
कहते हैं कि इस रात को अगर कुछ देर चाँद की रौशनी में बैठा जाए, तो आँखों की रोशनी तेज होती है। चंद्रमा की किरणें मन को शांत करती हैं और तनाव दूर करती हैं। इसीलिए, इस रात को केवल एक धार्मिक रस्म न समझकर, प्रकृति से जुड़ने का एक खूबसूरत मौका मानना चाहिए।