img

Up Kiran, Digital Desk: आज देशभर में सीता नवमी का पावन पर्व मनाया जा रहा है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को ही माता सीता का धरती पर प्राकट्य हुआ था, यानी उनका जन्म हुआ था। इसीलिए इस दिन को 'सीता नवमी' के रूप में बड़े ही श्रद्धा भाव से मनाया जाता है।

चूंकि माता सीता मिथिला के राजा जनक की पुत्री थीं, इसलिए उनका एक प्रसिद्ध नाम 'जानकी' भी है। इसी कारणवश, सीता नवमी को 'जानकी जयंती' के नाम से भी जाना जाता है।

आज के दिन मुख्य रूप से माता सीता की पूजा करने का विधान है। वैष्णव संप्रदाय के लोग आज के दिन माता सीता के निमित्त व्रत रखने की भी परंपरा का पालन करते हैं। ऐसी मान्यता है कि आज व्रत रखकर, भगवान श्री राम की मूर्ति के साथ माता सीता का पूरे विधि-विधान से पूजन करना चाहिए और उनकी महिमा का गुणगान यानी स्तुति करनी चाहिए।

सीता नवमी व्रत का महत्व:

कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति इस दिन सच्चे मन से व्रत और पूजा करता है, उसे सोलह महादानों के बराबर पुण्य फल और सभी तीर्थों के दर्शन का लाभ मिलता है। इसलिए, आज के इस शुभ दिन का धार्मिक लाभ अवश्य उठाना चाहिए।

सरल उपाय:

आज के दिन माता सीता और भगवान श्री राम के इस सरल मंत्र का कम से कम 11 बार जाप करना बहुत शुभ माना जाता है:
मंत्र: श्री सीतायै नमः। श्री रामाय नमः।

इस प्रकार मंत्र जाप करने के बाद, माता सीता और श्री राम दोनों को फूल अर्पित करें (पुष्पांजलि) और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। माना जाता है कि ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं सिद्ध होती हैं और इच्छाएं पूरी होती हैं।

श्री जानकी स्तुति का पाठ:

इसके अलावा, सीता नवमी के दिन नीचे दी गई 'श्री जानकी स्तुति' का पाठ करना विशेष रूप से फलदायी माना गया है। इस स्तुति का पाठ करने से भक्त पर मां जानकी के साथ ही प्रभु श्री राम की भी असीम कृपा बरसती है।

श्री जानकी स्तुति

जानकि त्वां नमस्यामि सर्वपापप्रणाशिनीम् ।
जानकि त्वां नमस्यामि सर्वपापप्रणाशिनीम् ॥ १॥दारिद्र्यरणसंहत्रीं भक्तानाभिष्टदायिनीम् ।विदेहराजतनयां राघवानन्दकारिणीम् ॥ २॥भूमेर्दुहितरं विद्यां नमामि प्रकृतिं शिवाम् ।पौलस्त्यैश्वर्यसन्त्री भक्ताभीष्टां सरस्वतीम् ॥ ३॥पतिव्रताधुरीणां त्वां नमामि जनकात्मजाम् ।अनुग्रहपरामृद्धिमनघां हरिवल्लभाम् ॥ ४॥आत्मविद्यां त्रयीरूपामुमारूपां नमाम्यहम् ।
प्रसादाभिमुखीं लक्ष्मीं क्षीराब्धितनयां शुभाम् ॥ ५॥नमामि चन्द्रभगिनीं सीतां सर्वाङ्गसुन्दरीम् ।नमामि धर्मनिलयां करुणांवेदमातरम् ॥ ६॥पद्मालयां पद्महस्तां विष्णुवक्षस्थलालयाम् ।नमामि चन्द्रनिलयां सीतां चन्द्रनिभाननाम् ॥ ७॥आह्लादरूपिणीं सिद्धि शिवांशिवकरी सतीम् ।नमामि विश्वजननीं रामचन्द्रेष्टवल्लभाम् ।सीतां सर्वानवद्याङ्गीं भजामि सततं हृदा ॥ ८॥इति श्रीस्कन्दमहापुराणे सेतुमाहात्म्ये श्रीहनुमत्कृता श्रीजानकीस्तुतिः सम्पूर्णा ।

--Advertisement--