Up Kiran, Digital Desk: उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही थी, जिससे न केवल प्रदूषण बढ़ रहा था, बल्कि किसानों के लिए यह समस्या बन गई थी। अब इस समस्या से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने एक नई और क्रांतिकारी योजना का ऐलान किया है। इस योजना के तहत किसानों को पराली देने पर गोबर खाद प्रदान किया जाएगा।
इस योजना का मकसद न केवल प्रदूषण को कम करना है, बल्कि खेतों की उर्वरता में भी सुधार लाना है। योगी सरकार ने यह कदम उठाकर यह सुनिश्चित किया है कि पराली का सही इस्तेमाल किया जा सके और किसानों को इसके बदले लाभ मिले।
पराली को गोबर खाद में बदलने की प्रक्रिया
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस योजना के तहत किसानों से पराली एकत्रित करने का निर्णय लिया है। यह पराली फिर गोशालाओं में भेजी जाएगी, जहां इसका उपयोग पशुओं के बिछावन और उनके आहार के रूप में किया जाएगा। इसके बदले में किसानों को उच्च गुणवत्ता वाली गोबर खाद प्रदान की जाएगी, जिससे उनके खेतों की उर्वरता में बढ़ोतरी होगी।
यह योजना किसानों के लिए दोहरी राहत लेकर आई है। एक ओर जहां प्रदूषण कम होगा, वहीं दूसरी ओर खेतों की उपजाऊ क्षमता भी बेहतर होगी।
मंत्री धर्मपाल सिंह का किसानों को जागरूक करने का प्रयास
उत्तर प्रदेश के पशुपालन मंत्री धर्मपाल सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे किसानों को इस योजना के बारे में समझाएं और उन्हें इसके फायदे बताएं। उन्होंने जोर दिया कि इस प्रक्रिया से किसानों को फायदा होगा और पराली जलाने की समस्या हल हो सकेगी।
धर्मपाल सिंह ने कहा, "पराली जलाने पर कार्रवाई और जुर्माने से कहीं बेहतर है कि हम किसानों को इसके सकारात्मक पहलुओं के बारे में जागरूक करें और उन्हें इस योजना का हिस्सा बनाएं।"
अधिकारियों को चेतावनी – लापरवाही पर होगी सख्त कार्रवाई
लखनऊ में हुई समीक्षा बैठक के दौरान मंत्री धर्मपाल सिंह ने उन जिलों के मुख्य पशु चिकित्साधिकारियों को चेतावनी दी, जहां भूसा टेंडर लंबित हैं। मंत्री ने स्पष्ट किया कि इस मामले में लापरवाही करने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सरकार का यह निर्णय किसानों और अधिकारियों दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। यदि इस योजना को सही तरीके से लागू किया जाता है, तो यह राज्य में पराली जलाने की घटनाओं को बहुत हद तक रोकने में मदद करेगा।
यह योजना किसके लिए फायदेमंद है?
किसान: किसान पराली देकर गोबर खाद प्राप्त करेंगे, जिससे उनके खेतों की उपजाऊ क्षमता में सुधार होगा।
पर्यावरण: पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को कम किया जाएगा।
पशु पालन: गोशालाओं में पराली का उपयोग बिछावन और आहार के रूप में होगा, जिससे पशुओं की देखभाल बेहतर होगी।
सरकार: सरकार पराली जलाने पर निगरानी रखेगी और किसानों को जागरूक करेगी, जिससे प्रदूषण में कमी आएगी।
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