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Up Kiran, Digital Desk: जब भी हम बाज़ार में तेल खरीदने जाते हैं, तो सामने रखे दर्जनों ऑप्शन देखकर सिर चकरा जाता है। सेहत को लेकर आजकल हर कोई इतना जागरूक हो गया है कि किचन में इस्तेमाल होने वाली हर चीज़ को जांच-परखकर लेना चाहता है। तेलों की दुनिया में दो नाम सबसे ज़्यादा सुनाई देते हैं - सोयाबीन का तेल (Soybean Oil) और सूरजमुखी का तेल (Sunflower Oil)।

लेकिन सवाल यह है कि इन दोनों में से आपकी सेहत के लिए कौन सा तेल ज़्यादा बेहतर है? चलिए, आज इस 'तेल के खेल' को आसान भाषा में समझते हैं।

सोयाबीन का तेल: दिल और दिमाग का दोस्त?

सोयाबीन का तेल दुनिया में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होने वाले तेलों में से एक है। इसकी ख़ासियतें क्या हैं?

अच्छा क्या है? इसमें पॉलीअनसेचुरेटेड फैट (Polyunsaturated Fats) अच्छी मात्रा में होता है, जिसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड भी शामिल है। ओमेगा-3 हमारे दिल और दिमाग की सेहत के लिए बहुत ज़रूरी माना जाता है।

बुरा क्या है? इसमें ओमेगा-3 के साथ-साथ ओमेगा-6 फैटी एसिड भी बहुत ज़्यादा होता है। कुछ स्टडीज कहती हैं कि शरीर में ओमेगा-6 की ज़्यादा मात्रा सूजन (inflammation) को बढ़ा सकती है, जो लंबे समय में कई बीमारियों का कारण बन सकती है।

सूरजमुखी का तेल: त्वचा और इम्युनिटी का रक्षक?

सूरजमुखी का तेल हल्का होता है और भारतीय किचन में खूब इस्तेमाल होता है। इसकी भी अपनी खूबियां और खामियां हैं।

अच्छा क्या है? यह विटामिन E का खज़ाना है, जो हमारी स्किन के लिए बहुत अच्छा है और शरीर की रोग से लड़ने की ताकत (immunity) को भी मज़बूत करता है। इसमें भी अच्छे फैट्स होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं। बाज़ार में आजकल हाई-ओलिक सनफ्लावर ऑयल (High-Oleic Sunflower Oil) भी मिलता है, जिसे तलने (frying) के लिए ज़्यादा बेहतर और सेहतमंद माना जाता है।

बुरा क्या है? अगर आप नॉर्मल सूरजमुखी का तेल इस्तेमाल कर रहे हैं (हाई-ओलिक नहीं), तो उसमें भी ओमेगा-6 की मात्रा ज़्यादा हो सकती है, ठीक सोयाबीन तेल की तरह।

तो असली विनर कौन है? (The Verdict): दोनों तेलों की अपनी-अपनी जगह है और दोनों में कुछ अच्छे और कुछ बुरे गुण हैं। लेकिन अगर आपको दोनों में से किसी एक को चुनना हो, तो हाई-ओलिक सनफ्लावर ऑयल थोड़ा बेहतर विकल्प माना जा सकता है, खासकर अगर आप ज़्यादा तलने का काम करते हैं। इसमें विटामिन E भरपूर होता है और फैट्स का संतुलन भी बेहतर होता है।

सोयाबीन का तेल भी बुरा नहीं है, लेकिन कोशिश करें कि इसका इस्तेमाल कम मात्रा में हो और इसे किसी दूसरे तेल (जैसे सरसों या जैतून) के साथ बदल-बदल कर इस्तेमाल करें ताकि शरीर में ओमेगा-6 की मात्रा ज़्यादा न हो।

सबसे ज़रूरी बात: कोई भी एक तेल 'सुपरहीरो' नहीं होता। सबसे अच्छी आदत है कि आप अपने किचन में 2-3 तरह के तेल रखें और उन्हें बदल-बदल कर इस्तेमाल करें।