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बिहार के नवादा जिले में कुपोषण जैसी गंभीर समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया गया है। मंगलवार को जिले के सभी बाल विकास परियोजना कार्यालयों में पोषण जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें आंगनबाड़ी सेविकाओं और अधिकारियों ने कुपोषण के विरुद्ध शपथ लेकर इसे खत्म करने का संकल्प लिया। पोषण पखवाड़े के तहत चलाए गए इस अभियान ने न केवल जागरूकता फैलाई, बल्कि समाज के सबसे कमजोर तबके तक मदद पहुंचाने का रास्ता भी खोला। तो आइए, इस नेक पहल की कहानी को करीब से जानते हैं और समझते हैं कि कैसे नवादा कुपोषण के विरुद्ध जंग लड़ रहा है!
कौवाकोल में पोषण जागरूकता: एक नई शुरुआत
कौवाकोल बाल विकास परियोजना में आयोजित पोषण जागरूकता कार्यक्रम में महिला पर्यवेक्षिकाओं ने आंगनबाड़ी सेविकाओं को कुपोषण मिटाने के लिए सजगता और समर्पण के साथ काम करने की हिदायत दी। इस कार्यक्रम में माधवी कुमारी, निवेदिता कुमारी, आरती कुमारी और प्रधान सहायक विपिन कुमार के साथ-साथ कई आंगनबाड़ी सेविकाएं शामिल हुईं। सभी ने एक स्वर में कुपोषण को समाज से खत्म करने की शपथ ली।
महिला पर्यवेक्षिका माधवी कुमारी ने कहा कि कुपोषण हमारे समाज का कोढ़ है। इसे मिटाने के लिए हमें घर-घर जाकर बच्चों और महिलाओं की सेहत पर ध्यान देना होगा। इस शपथ ने न केवल सेविकाओं में जोश भरा, बल्कि यह भी दिखाया कि छोटे-छोटे कदम मिलकर बड़ा बदलाव ला सकते हैं।
नवादा जिले में 8 अप्रैल से शुरू हुए पोषण पखवाड़े का मंगलवार को समापन हुआ। इस दौरान जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में कुपोषण के विरुद्ध जागरूकता फैलाने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। कौवाकोल प्रखंड में हर आंगनबाड़ी केंद्र ने इस अभियान को गंभीरता से लिया और स्थानीय समुदाय को इसके लिए प्रेरित किया।