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Up Kiran, Digital Desk: धरती पर हर 26 सेकंड में एक हलका सा कंपन महसूस होता है, जिसे वैज्ञानिकों ने हाल ही में गंभीरता से अध्ययन करना शुरू किया है। यह तरंग पहले तो सामान्य सी दिखती है, लेकिन यह दशकों से हो रही है और अब तक इसका कोई स्पष्ट कारण नहीं पाया गया है। यह धड़कन जैसी हलकी तरंग भूकंप के समान नहीं होती, लेकिन यह पृथ्वी के अंदर चल रही घटनाओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देती है।

इस रहस्यमयी कंपन की पहली बार पहचान 2005 में की गई थी, और इसके बाद वैज्ञानिकों ने इस पर गहरी रिसर्च शुरू की। यह 26 सेकंड का कंपन इतना हल्का होता है कि इंसान इसे महसूस नहीं कर पाते, लेकिन इसकी ऊर्जा धरती के अंदर तक फैल जाती है। यह कोई भूकंप या समुद्री लहरों से जुड़ा कंपन नहीं है, बल्कि एक नियमित पैटर्न का हिस्सा है। वैज्ञानिक इसे सीस्मिक नॉइज यानी पृष्ठभूमि में होने वाली हलचल से जोड़ते हैं।

समुद्री लहरों का प्रभाव

ध्यान देने योग्य बात यह है कि यह कंपन समुद्र की लहरों के संपर्क में आने से उत्पन्न होता है। जब समुद्र की लहरें किनारे से टकराती हैं, तो उनकी ऊर्जा धरती तक पहुंचती है और धीरे-धीरे पूरी पृथ्वी में फैल जाती है। इस ऊर्जा को वैज्ञानिक अपने उपकरणों के माध्यम से महसूस करते हैं। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे जब आप अपनी मेज पर हल्का सा हाथ रखते हैं, तो कंपन पूरी मेज में फैल जाता है।

रहस्यमयी पैटर्न और वैज्ञानिकों का शोध

कोलोराडो विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक रिट्जवॉलर का कहना है कि इसे समझने के लिए यह उदाहरण दिया जा सकता है कि जैसे आप अपनी मेज पर हल्के से टैप करें। यह कंपन मेज के दूसरे हिस्से तक पहुंच जाता है, लेकिन कंपन की यह ऊर्जा पूरी मेज में फैल जाती है। ठीक इसी तरह, समुद्र की लहरों से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा पूरी पृथ्वी में फैलती है। यह कंपन पूरी दुनिया में समान रूप से महसूस होता है, और यह कोई अनियमित या भूकंप जैसी हलचल नहीं है, बल्कि एक नियमित पैटर्न में बंटा हुआ है।

लेकिन इस पैटर्न के पीछे का वास्तविक कारण अभी तक पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाया है। कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि यह पृथ्वी के गहरे भाग यानी मेंटल और कोर के बीच हो रही गतिविधियों से जुड़ा हो सकता है। वहीं, कुछ शोधकर्ता इसे समुद्र की लहरों की ऊर्जा के असर से जोड़ते हैं।

सिस्मिक नॉइज और पृथ्वी के अंदरूनी ढांचे का अध्ययन

वैज्ञानिकों ने दशकों से सिस्मिक नॉइज का इस्तेमाल पृथ्वी के अंदरूनी ढांचे को समझने के लिए किया है। इससे उन्हें प्लेट्स, फॉल्ट लाइन्स और क्रस्ट-मैन्टल के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली है। लेकिन यह 26 सेकंड का कंपन अभी तक एक नई पहेली बन गया है, जिसे पूरी तरह से हल नहीं किया जा सका है।

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