Up Kiran, Digital Desk: पंजाब सरकार ने रविवार को अमृतसर में एक विशेष जागरूकता एवं सहायता शिविर का आयोजन किया, जो राज्य में पराली जलाने की घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण के लिए एक नया कदम साबित हो सकता है। इस आयोजन में उपग्रह डेटा का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे हर घटना पर वास्तविक समय में नजर रखी जाएगी। साथ ही, एक समर्पित नियंत्रण कक्ष भी स्थापित किया गया है, जो पराली जलाने की घटनाओं का तुरंत पता लगाएगा और संबंधित क्षेत्र के उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) को सूचित करेगा। फिर एसडीएम, किसान को सही सलाह देने के लिए टीम भेजेगा, ताकि इस परंपरा को रोका जा सके।
पराली जलाने की समस्या पंजाब और हरियाणा सहित अन्य पड़ोसी राज्यों के लिए बड़ी चुनौती बन चुकी है, जो सर्दियों के मौसम में दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण के मुख्य कारणों में शामिल है। धान की कटाई के बाद रबी की फसल, गेहूँ, की बुवाई का समय बहुत कम होता है, जिसके कारण कुछ किसान पराली जलाकर खेतों को जल्दी साफ करने की कोशिश करते हैं। लेकिन इससे हवा में प्रदूषण की मात्रा अत्यधिक बढ़ जाती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है और स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ता है।
पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं की निगरानी
पंजाब की सरकार ने उपग्रह तकनीक का इस्तेमाल करते हुए पराली जलाने की घटनाओं की निगरानी तेज कर दी है। "सेंसरों की मदद से उपग्रह पराली जलाने की घटनाओं को ट्रैक करते हैं और हमारे अधिकारी इन घटनाओं पर नजर रखते हैं," नियंत्रण कक्ष पर्यवेक्षक युग ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा। अगर किसी क्षेत्र में पराली जलाने की घटना होती है, तो एसडीएम को तुरंत सूचित किया जाता है। फिर वे किसानों को पराली न जलाने की सलाह देते हैं और उन्हें इस मुद्दे के बारे में जागरूक करने के लिए टीम भेजते हैं।
इसके अतिरिक्त, पंजाब सरकार ने पराली जलाने से बचने के लिए किसानों को राज्य की योजनाओं के बारे में भी सूचित किया है। इनमें से कुछ योजनाएं किसानों को पराली जलाने के वैकल्पिक तरीकों से अवगत कराती हैं। सरकार ने स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर उन किसानों को सम्मानित किया, जिन्होंने पराली नहीं जलायी। इस पहल के माध्यम से सरकार किसानों को प्रोत्साहित कर रही है।
पंजाब में बढ़ते पराली जलाने के मामले
हालांकि, पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं अब भी चिंता का विषय बनी हुई हैं। अब तक राज्य में कुल 90 मामले सामने आए हैं, जिनमें से रविवार को ही 8 नए मामले रिपोर्ट हुए हैं। अमृतसर में सबसे अधिक 51 मामले दर्ज किए गए हैं। सरकार ने 47 मामलों में 2.25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है, जबकि 49 मामलों में बीएनएस अधिनियम की धारा 223 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। इसके अलावा, 32 किसानों के भूमि अभिलेखों में लाल प्रविष्टियाँ दर्ज की गई हैं, जिसका मतलब है कि ये किसान अपनी भूमि को बेचना या गिरवी रखना नहीं कर सकते।
सीएक्यूएम की सख्त कार्रवाई
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने पंजाब और हरियाणा को आगामी धान की कटाई के मौसम के दौरान पराली जलाने पर रोक सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। सीएक्यूएम ने राज्य सरकारों से कहा है कि वे पराली जलाने पर सख्ती से कार्रवाई करें और किसानों को सही मार्गदर्शन प्रदान करें।
सीएक्यूएम ने इसके साथ ही पंजाब और हरियाणा के संबंधित अधिकारियों से आग्रह किया है कि वे किसानों को उपयुक्त फसल अवशेष प्रबंधन उपकरण मुहैया कराएं और "पराली सुरक्षा बल" का गठन करें। इसके अलावा, इन दोनों राज्यों के हॉटस्पॉट जिलों में उड़न दस्ते तैनात किए जाएंगे, जो जमीन पर प्रगति की निगरानी करेंगे।
दोनों राज्य सरकारों को यह भी निर्देश दिया गया है कि वे खेतों में आग लगने की घटनाओं को रोकने के लिए शाम के समय में गश्त तेज करें। इसके साथ ही, स्थानीय निकायों को खुले में कचरा जलाने से रोकने के बारे में जागरूक करें।
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