
Up Kiran, Digital Desk: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने शनिवार को भारत की वायु रक्षा क्षमता में एक और बड़ी छलांग लगाई। ओडिशा के समुद्री तट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट पर स्वदेशी रूप से विकसित इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस वेपन सिस्टम (IADEWS) का पहला उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
यह उपलब्धि ऐसे समय पर हासिल हुई है जब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद से देश की सुरक्षा व्यवस्थाओं को लगातार मजबूत किया जा रहा है। करीब साढ़े तीन महीने बाद हुए इस परीक्षण ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि भारत आत्मनिर्भर रक्षा तकनीक के क्षेत्र में किस तेजी से आगे बढ़ रहा है।
क्या है आईएडीडब्ल्यूएस?
यह प्रणाली एक बहुस्तरीय वायु रक्षा कवच के तौर पर तैयार की गई है। इसमें शामिल हैं –
तेज़ रफ्तार क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइलें,
अत्याधुनिक वीएसएचओआरएडीएस मिसाइलें (बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली),
और भविष्य की तकनीक का उदाहरण मानी जा रही उच्च शक्ति लेज़र आधारित निर्देशित ऊर्जा हथियार प्रणाली (DEW)।
इन सबके संयोजन से यह हथियार प्रणाली दुश्मन के हवाई खतरों जैसे ड्रोन, मिसाइल, यूएवी और बमबारी हमलों से महत्वपूर्ण ठिकानों को सुरक्षा प्रदान करेगी।
रक्षा मंत्री की प्रतिक्रिया
इस ऐतिहासिक मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ के वैज्ञानिकों और सशस्त्र बलों को बधाई दी। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि आईएडीडब्ल्यूएस का सफल विकास भारत की सुरक्षा क्षमताओं को एक नई ऊंचाई देगा और यह देश की बहुस्तरीय वायु रक्षा की ताकत को दुनिया के सामने स्थापित करेगा।
भारत की मौजूदा वायु रक्षा प्रणालियां
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारत ने पहले ही यह दिखा दिया था कि उसकी वायु रक्षा प्रणाली कितनी कारगर है। पाकिस्तान से उपजे तनाव के बीच भारतीय वायु रक्षा ने कई ड्रोन, मिसाइल और माइक्रो-यूएवी को समय रहते नष्ट कर दिया। इसी के साथ भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी विश्वसनीयता को मजबूत किया।
इस समय भारत जिन प्रमुख वायु रक्षा प्रणालियों का इस्तेमाल कर रहा है, उनमें शामिल हैं –
रूस से प्राप्त एस-400 ट्रायंफ
स्वदेशी आकाश प्रणाली
स्पाइडर
बराक-8 एमके एसएएम
इग्ला-एस
9K33 ओसा ए.के.
2K12 क्यूब
और हाल ही में विकसित क्यूआरएसएएम
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