Up Kiran, Digital Desk:अगर आप भी किचन में खड़े होकर सोचते हैं कि सूरजमुखी तेल लें या सोयाबीन, तो आप अकेले नहीं हैं। दोनों ही 'हेल्दी' कहलाते हैं, पर असल फ़र्क़ इनके पीछे छुपे विज्ञान में है। सोशल मीडिया की बातों पर नहीं, बल्कि तथ्यों पर भरोसा करें।
पोषण की सच्चाई: दोनों तेल में क्या है खास?
सोयाबीन तेल में पाए जाते हैं ओमेगा-6 और थोड़ा ओमेगा-3 फैटी एसिड। यह एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल) को कम करने में मदद कर सकता है।
सूरजमुखी तेल में भरपूर मात्रा में विटामिन ई होता है, जो त्वचा और इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाता है। दोनों ही कम संतृप्त वसा वाले हैं, यानी दिल के लिए नुकसानदायक नहीं। पर यहाँ बात खत्म नहीं होती।
कई लोग जानते ही नहीं कि तेल को कितनी गर्मी मिल रही है, ये बहुत मायने रखता है। अगर सूरजमुखी या सोयाबीन तेल को बार-बार ज़्यादा गर्म किया जाए, तो ये ज़हरीले कंपाउंड्स में बदल सकता है, जिससे शरीर में सूजन और बीमारियाँ हो सकती हैं।
सुझाव: तलने के लिए हमेशा हाई-ओलिक सूरजमुखी तेल या रिफाइंड सोयाबीन तेल का उपयोग करें। और सबसे ज़रूरी बात — कभी भी तेल को बार-बार गर्म न करें।
सोयाबीन तेल और मेटाबॉलिज़्म: क्या है खतरा?
कुछ पशु अध्ययन बताते हैं कि ज़्यादा सोयाबीन तेल से फैट बढ़ सकता है और इंसुलिन रेजिस्टेंस हो सकता है। पर इंसानों पर हुए रिसर्च में ऐसा नहीं पाया गया।
सच ये है: सीमित मात्रा में सोयाबीन तेल आपके कोलेस्ट्रॉल को संतुलित रख सकता है।

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