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Up Kiran, Digital Desk: सर्दियों का मौसम आते ही जहाँ एक तरफ़ गरमा-गरम चाय और आरामदायक रजाई की याद आती है, वहीं दूसरी तरफ़ खाँसी, ज़ुकाम, गले में खराश और जोड़ों के दर्द जैसी बिन बुलाई मेहमान बीमारियाँ भी दरवाज़े पर दस्तक देने लगती हैं। इनसे बचने के लिए हम गर्म कपड़े તો लेते लेकिन शरीर को अंदर से मज़बूत बनाना भूल जाते हैं।

अगर आप भी एंटीबायोटिक्स और तेज़ दवाओं के साइड इफ़ेक्ट्स से बचना चाहते हैं, तो इस सर्दी होम्योपैथी को अपना 'स्वास्थ्य का साथी' बनाकर देखें। होम्योपैथी की मीठी-मीठी गोलियाँ न सिर्फ़ इन मौसमी बीमारियों से लड़ने में असरदार हैं, बल्कि यह आपकी इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) को जड़ से मज़बूत करती  ताकि आप हर साल बीमार पड़ने के इस चक्कर से बाहर निकल सकें।

आइए जानते हैं सर्दियों को सेहतमंद तरीक़े से एन्जॉय करने के कुछ सरल होम्योपैथिक टिप्स।

क्यों है होम्योपैथी सर्दियों के लिए ख़ास?

होम्योपैथी इलाज से बेहतर रोकथाम है के सिद्धांत पर काम करती ਹੈ। यह सिर्फ़ बीमारी के लक्षणों को नहीं दबाती, बल्कि शरीर की अपनी हीलिंग पावर को इतना बढ़ा देती है कि वह ख़ुद बीमारियों से लड़ने के काबिल बन जाता है। सर्दियों में हमारी इम्युनिटी थोड़ी कमज़ोर पड़ जाती है, और यहीं पर होम्योपैथी एक 'सुरक्षा कवच' की तरह काम करती है।

सर्दी-ज़ुकाम और खाँसी के 'रामबाण' उपाय

होम्योपैथी में हर व्यक्ति के लक्षणों के आधार पर दवा दी जाती है, लेकिन कुछ दवाएँ ऐसी हैं जो सर्दियों की आम समस्याओं में बहुत कारगर साबित होती हैं:

  • एκόनाइट (Aconite): यह दवा तब सबसे ज़्यादा काम आती जब बीमारी की शुरुआत अचानक हो। मान लीजिए, आप ठंडी हवा में घूमकर आए और अचानक आपको तेज़ बुखार, सूखी खाँसी और बेचैनी होने लगी, तो एकोनाइट की कुछ डोज़ आपको तुरंत राहत दे सकती है।
  • एलियम सेपा (Allium Cepa): अगर आपकी नाक बह रही है, आँखों से पानी आ रहा है और बार-बार छींकें आ रही हैं (बिलकुल जैसे प्याज़ काटने पर होता ), तो यह दवा आपके लिए ही बनी है।
  • बेलाडोना (Belladonna): जब चेहरा और आँखें लाल हो जाएं, तेज़ बुखार हो और गले में तेज़ दर्द महसूस हो, तो बेलाडोना बहुत फ़ायदा करती है।
  • ब्रायोनिया (Bryonia): अगर आपको सूखी और दर्दभरी खाँसी है, जो ज़रा सा हिलने-डुलने पर भी बढ़ जाती और साथ में बहुत ज़्यादा प्यास लगती है, तो ब्रायोनिया ली जा सकती है।
  • पल्सेटिला (Pulsatilla): जब गाढ़ा, पीला या हरे रंग का बलगम निकल रहा हो, बंद नाक हो और मरीज़ को ताज़ी हवा में अच्छा महसूस हो, तो यह दवा बहुत असरदार होती है।

बुज़ुर्गों के लिए: जोड़ों के दर्द का इलाज़

सर्दियों में बुज़ुर्गों के जोड़ों का दर्द काफ़ी बढ़ जाता है। होम्योपैथी में इसके लिए भी बहुत अच्छी दवाएँ हैं:

  • रस टॉक्स (Rhus Tox): यह गठिया और जोड़ों के दर्द की सबसे आम दवा है। ख़ासकर जब दर्द आराम करते समय बढ़ जाए और धीरे-धीरे चलने-फिरने से आराम मिले।
  • अर्निका (Arnica): जब जोड़ों में चोट लगने जैसा दर्द हो और छूने पर भी तकलीफ़ हो, तो अर्निका बहुत राहत देती है।

होम्योपैथी के साथ-साथ, ये आदतें भी अपनाएं

दवा के साथ-साथ एक सेहतमंद जीवनशैली अपनाना भी बहुत ज़रूरी है

  1. गुनगुना पानी पिएं: यह गले को तर रखता है और इन्फेक्शन से बचाता ਹੈ।
  2. विटामिन C से दोस्ती करें: अपनी डाइट में आंवला, संतरा और नींबू जैसी चीज़ों को ज़रूर शामिल करें।
  3. हल्दी वाला दूध: यह एक नैचुरल एंटीबायोटिक और इम्युनिटी बूस्टर ਹੈ।
  4. शरीर को गर्म रखें: गर्म कपड़े पहनें और ठंडी हवा के सीधे संपर्क में आने से बचें।
  5. पूरी नींद लें: अच्छी नींद आपके शरीर को ख़ुद को ठीक करने का समय देती है।