img

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में महिलाएं अक्सर अपने परिवार की चिंता करते-करते अपनी सेहत को नजरअंदाज कर देती हैं।
इसी लापरवाही के चलते कई बार ऐसी बीमारियां घर कर लेती हैं, जो जानलेवा बन सकती हैं — जैसे कि कैंसर।
विशेष रूप से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल कैंसर और ओवेरियन कैंसर तेजी से बढ़ रहे हैं।

अगर समय रहते इनके लक्षणों को पहचान लिया जाए, तो इलाज संभव है और जान भी बचाई जा सकती है।
आइए जानते हैं खासतौर से ओवेरियन कैंसर के लक्षण, बचाव और इलाज के बारे में, ताकि आप खुद को और अपनों को सुरक्षित रख सकें।

भारत में बढ़ रहा है ओवेरियन कैंसर का खतरा

हर साल भारत में एक लाख महिलाओं में से लगभग 4.6% महिलाएं ओवेरियन कैंसर की वजह से अपनी जान गंवा रही हैं।

सही समय पर जाँच और उपचार से इस गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है।

नोएडा CHC की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. मीरा पाठक से जानते हैं इस बीमारी से जुड़ी अहम बातें।

ओवेरियन कैंसर के प्रमुख कारण और रिस्क फैक्टर्स

डॉ. मीरा पाठक बताती हैं कि ओवेरियन कैंसर के 20% मामलों में जेनेटिक फैक्टर जिम्मेदार होते हैं।

खासकर जब BRCA-1 और BRCA-2 जीन में म्यूटेशन हो।
बाकी 80% मामलों में इसकी वजह स्पष्ट नहीं हो पाती है, लेकिन कुछ रिस्क फैक्टर्स हैं जिनका ध्यान रखना जरूरी है:

उम्र: 50 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में जोखिम ज्यादा होता है।

हार्मोनल असंतुलन: अगर 13 साल से पहले पीरियड्स शुरू हो जाएं या 50 साल के बाद भी जारी रहें।

पहली बार देर से मां बनना: अगर पहला बच्चा 30 साल के बाद हो।

इनफर्टिलिटी और बार-बार गर्भपात की हिस्ट्री।

मोटापा: भी इस कैंसर का खतरा बढ़ाता है।

ओवेरियन कैंसर के लक्षण: जिन्हें नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारीअगर आपके शरीर में ये लक्षण लगातार बने हुए हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें:

एक महीने से अधिक समय तक चलने वाली एसिडिटी

लगातार कब्ज रहना

पेट में भरा-भरा महसूस होना

अचानक पेट या पेट के निचले हिस्से में सूजन

पेल्विक पेन या शरीर के निचले हिस्से में दर्द

बार-बार यूरिन आना

बिना वजह वजन कम होना

लगातार थकान महसूस करना

चेहरे पर अनचाहे बाल उगना

ओवेरियन कैंसर की पहचान कैसे करें? जरूरी टेस्ट कौन से हैं?

अगर परिवार में किसी को ब्रेस्ट कैंसर या ओवेरियन कैंसर रहा है, तो आपको ज्यादा सतर्क रहना चाहिए।
डॉक्टर नियमित जाँच कराने की सलाह देते हैं:

अल्ट्रासाउंड

जीन टेस्टिंग (BRCA-1, BRCA-2)

ब्लड में ट्यूमर मार्कर टेस्ट (CA-125)

6 से 12 महीने में एक बार गायनेकोलॉजिस्ट से चेकअप कराना बेहद जरूरी है।
समय रहते जांच कराने से कैंसर का पता शुरुआती स्टेज में लग सकता है, जिससे इलाज आसान हो जाता है।

ओवेरियन कैंसर का इलाज और बचाव के उपाय

डॉ. मीरा के अनुसार, ओवेरियन कैंसर की चार स्टेज होती हैं।

स्टेज के हिसाब से सर्जरी, कीमोथेरेपी और अन्य उपचार किए जाते हैं।

बचाव के कुछ तरीके:

ब्रेस्टफीडिंग: जो महिलाएं बच्चे को दूध पिलाती हैं, उनमें ओवेरियन कैंसर का खतरा कम होता है।

कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स: इनके नियमित सेवन से भी जोखिम घटता है।

हेल्दी लाइफस्टाइल: संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और वजन नियंत्रण से आप खुद को सुरक्षित रख सकती हैं।

--Advertisement--