Up Kiran, Digital Desk: रूस ने मास्को में तालिबान के राजदूत के नामांकन को आधिकारिक रूप से कबूल कर लिया है जिसकी पुष्टि तालिबान के नियंत्रण वाले अफगान विदेश मंत्रालय ने की है। यह कदम ऐसे समय में आया है जब अफगानिस्तान और रूस दोनों पश्चिमी प्रतिबंधों का सामना कर रहे हैं जिसने दोनों देशों के बीच आर्थिक और राजनीतिक संबंधों को मजबूत किया है। रूस से मिली इस मंजूरी के बाद अब तालिबान की उम्मीदें भारत से भी बढ़ गई हैं। तालिबान चाहता है कि मोदी सरकार भी उनके राजनयिक को नई दिल्ली में बतौर राजदूत मान्यता दे हालांकि भारत सरकार ने अभी तक इस मांग पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
रूस-तालिबान संबंध: एक नया अध्याय
पुतिन के देश ने अप्रैल में तालिबान पर लगे अपने प्रतिबंध को निलंबित कर दिया था जिसे उसने दो दशकों से अधिक समय तक एक आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया हुआ था। इस कदम ने मास्को के लिए अफगानिस्तान के वर्तमान नेतृत्व के साथ संबंधों को सामान्य करने का मार्ग प्रशस्त किया। हालांकि अगस्त 2021 में काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद से ही रूस लगातार सक्रिय रहा है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि किसी भी देश ने औपचारिक रूप से तालिबान की सरकार को मान्यता नहीं दी है जिसने 2021 में अमेरिकी नेतृत्व वाली सेना के हटने के बाद अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने एक बयान में कहा "हमें उम्मीद है कि यह नया चरण दोनों देशों को विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार करने की अनुमति देगा।"
चीन ने की थी पहल, पाकिस्तान ने भी किया अनुसरण
चीन 2023 में तालिबान से राजदूत स्तर पर एक राजनयिक को स्वीकार करने वाला पहला देश बन गया था और उसके बाद से कई अन्य देशों ने भी इस मार्ग का अनुसरण किया है। इनमें पाकिस्तान भी शामिल है जिसने हाल ही में घोषणा की कि वह इस सप्ताह पद को अपग्रेड करेगा। राजनयिक विशेषज्ञों का मानना है कि किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष के समक्ष औपचारिक रूप से राजदूत का परिचय प्रस्तुत करना मान्यता की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम माना जाता है।
भारत-तालिबान संबंध: चुप्पी के बीच बढ़ती बातचीत
जब अगस्त 2021 में तालिबान ने काबुल पर नियंत्रण किया था तो इसे भारत के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा था। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में दोनों पक्षों के बीच संबंधों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। हाल ही में भारत और तालिबान के बीच शीर्ष स्तर पर पहला संपर्क हुआ था जिसमें भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से बात की थी। इससे पहले भी मुत्ताकी और भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री के बीच दुबई में मुलाकात हुई थी। इसके अलावा भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारी लगातार तालिबान नेतृत्व के साथ संपर्क में हैं भले ही भारत ने तालिबान सरकार को औपचारिक मान्यता न दी हो।
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