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गुरुवार को तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि के कुछ घंटे के अंतराल में दो फैसले रहे। पहले फैसले में राज्यपाल ने भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में बंद मंत्री वी सेंथिल बालाजी को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया था। उसके 5 घंटे बाद ही राज्यपाल रवि ने अपना फैसला बदलते हुए मंत्री की बर्खास्तगी खत्म करने का आदेश जारी कर दिया। राज्यपाल के आनन-फानन में लिए गए इस फैसले के बाद राज्य में सियासत भी गरमा गई है।

राज्यपाल आरएन रवि ने राज्य मंत्री वी सेंथिल बालाजी के बर्खास्तगी आदेश को फिलहाल स्थगित रखने का फैसला किया है और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को इसके बारे में सूचित किया है। देर शाम मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में राज्यपाल ने कहा कि वह इसे बारे में अटार्नी जनरल से कानूनी राय लेंगे। 

रिपोर्ट के मुताबिक गर्वनर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से सलाह लेने के बाद अपना फैसला वापस लिया था।उधर मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इस फैसले को गलत बताया था और इसे कोर्ट में चुनौती देने की बात कही थी। मामले पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा, राज्यपाल के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं हैं, हम कानूनी रूप से इसका सामना करेंगे। कहा जा रहा है राज्यपाल ने सेंथिल को बर्खास्त करने के लिए मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से भी राय-मशविरा नहीं किया था। 

बता दें कि राजभवन के पत्र में लिखा था कि सेंथिल बालाजी नौकरी के बदले में नकदी लेने और धन शोधन समेत भ्रष्टाचार के कई मामलों में गंभीर आपराधिक कार्रवाई का सामना कर रहे हैं। मंत्री के रूप में अपने पद का दुरुपयोग कर वह जांच को प्रभावित और कानून तथा न्याय की उचित प्रक्रिया में बाधा डालते रहे हैं। अभी वह एक आपराधिक मामले में न्यायिक हिरासत में हैं, जिसकी जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कर रहा है। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार रोकथाम कानून और आईपीसी के तहत कुछ अन्य आपराधिक मामले भी दर्ज हैं जिनकी जांच राज्य पुलिस कर रही है। 

ऐसी आशंका है कि वी. सेंथिल बालाजी के मंत्रिपरिषद में बने रहने से निष्पक्ष जांच समेत कानून की उचित प्रक्रिया पर गलत असर होगा। देर रात  गवर्नर ने इस मुद्दे पर अटॉर्नी जनरल से बात की और अपने फैसले को रोक दिया था। बालाजी अब मंत्री बने रहेंगे। बुधवार को चेन्नई सत्र न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश एस अली ने मंत्री सेंथिल बालाजी की न्यायिक हिरासत 12 जुलाई तक बढ़ाने का आदेश दिया था। वर्तमान में, वह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जांच की जा रही एक आपराधिक मामले में न्यायिक हिरासत में हैं। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और आइपीसी के तहत कुछ अन्य आपराधिक मामलों की जांच राज्य पुलिस द्वारा की जा रही है।

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