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Up Kiran, Digital Desk: बिहार की सियासत में शनिवार को उस समय बड़ा मोड़ आया जब राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के वरिष्ठ नेता तेजस्वी यादव ने खुद को आगामी विधानसभा चुनावों के लिए महागठबंधन का मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर दिया। दिलचस्प बात यह रही कि यह ऐलान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की मौजूदगी में हुआ, लेकिन मंच पर मौजूद इन दोनों नेताओं ने इस पर कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी।
तेजस्वी ने आरा की एक विशाल रैली में जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा, "तेजस्वी आगे बढ़ रहा है और सरकार उसके पीछे-पीछे चल रही है।" इस टिप्पणी के माध्यम से उन्होंने परोक्ष रूप से नीतीश कुमार पर हमला बोला और उन्हें 'नकलची मुख्यमंत्री' करार दिया। तेजस्वी का यह बयान साफ इशारा करता है कि वह नीतीश सरकार को नीतिगत स्तर पर अपनी रचनात्मकता की तुलना में कमजोर मानते हैं।
'असली बनाम नकली' की सियासी जंग
तेजस्वी यादव ने अपने संबोधन में जनता से यह सीधा सवाल पूछा – "आपको असली मुख्यमंत्री चाहिए या डुप्लीकेट?" इस सवाल के साथ उन्होंने खुद को ‘असली’ विकल्प बताते हुए जनभावनाओं को अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश की। यह बयान न केवल उनके आत्मविश्वास को दर्शाता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि वह महागठबंधन में नेतृत्व की बागडोर थामने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं – भले ही कांग्रेस की ओर से अभी तक इस विषय में कोई स्पष्टता न हो।
'वोट चोरी' का आरोप और राहुल गांधी का चुनाव आयोग पर हमला
रैली में राहुल गांधी ने अपने भाषण में सीधे तौर पर भारतीय चुनाव आयोग और भाजपा को निशाने पर लेते हुए कहा कि विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान के जरिए बिहार में चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है। राहुल ने कहा, "हम बिहार में चुनाव चोरी नहीं होने देंगे। महाराष्ट्र और हरियाणा में आपने जो किया, वह यहां नहीं दोहराने देंगे।"
उन्होंने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए उसे 'गोदी आयोग' करार दिया और आरोप लगाया कि यह अब भाजपा के इशारों पर काम कर रहा है।
तेजस्वी की तीखी टिप्पणी: 'अब यह आयोग नहीं, भाजपा का सेल है'
तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर और भी तीखे शब्दों में हमला करते हुए कहा, "यह अब स्वतंत्र संस्था नहीं रही। यह भाजपा का एक कार्यकर्ता बन चुका है।" उन्होंने दावा किया कि जनता में आयोग की साख अब खत्म हो चुकी है और यह लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है।
बिहार की जनता किसके साथ?
महागठबंधन की यह रैली, जिसे 'वोट बचाओ यात्रा' का नाम दिया गया है, अब तक राज्य के एक दर्जन से अधिक ज़िलों से होकर गुजर चुकी है। तेजस्वी और राहुल गांधी की संयुक्त अपील ग्रामीण इलाकों में काफी प्रभावी साबित हो रही है, लेकिन महागठबंधन के भीतर नेतृत्व को लेकर जो अस्पष्टता है, वह भविष्य में चुनावी रणनीति के लिए चुनौती बन सकती है।
बिहार की राजनीति में आने वाले दिनों में और गर्माहट देखी जा सकती है, लेकिन तेजस्वी का यह 'एकतरफा एलान' महागठबंधन की एकता और रणनीति को किस दिशा में ले जाएगा, यह देखना अब बाकी है।
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