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Up Kiran, Digital Desk: कैंसर - यह एक ऐसा शब्द है जिसे सुनते ही हमारे दिल में एक अनजाना सा डर बैठ जाता है। हम सबने अपने आसपास किसी न किसी को इस जानलेवा बीमारी से लड़ते हुए देखा है। लेकिन अब, दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित मेडिकल पत्रिकाओं में से एक, 'द लैंसेट' ने एक ऐसी स्टडी छापी है, जो इस डर को एक बड़ी और गंभीर चेतावनी में बदल रही है।

इस रिपोर्ट के आंकड़े न सिर्फ चौंकाने वाले हैं, बल्कि हमें यह सोचने पर मजबूर कर रहे हैं कि आखिर हम एक समाज के तौर पर किस दिशा में जा रहे हैं।

क्या कहती है यह डराने वाली रिपोर्ट?

लैंसेट की इस ग्लोबल स्टडी के मुताबिक, अगर हालात ऐसे ही बने रहे, तो साल 2050 तक दुनिया भर में कैंसर से होने वाली मौतों की संख्या में 75% से भी ज़्यादा का उछाल आ सकता है। इसका मतलब है कि आज के मुकाबले लगभग दोगुनी मौतें कैंसर की वजह से होंगी।

लेकिन इस रिपोर्ट में जो बात भारत के लिए सबसे ज़्यादा चिंताजनक है, वो यह है कि कैंसर से होने वाली मौतों की यह बढ़ोतरी सबसे तेज़ जिन देशों में होगी, उनमें भारत का नाम भी शामिल है।

लेकिन आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? भारत पर इतना बड़ा खतरा क्यों?

यह सवाल हम सबके मन में आएगा। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इसके पीछे कोई एक नहीं, बल्कि कई बड़ी वजहें एक साथ काम कर रही हैं:

बदलती जीवनशैली: यह सबसे बड़ा कारण है। भागदौड़ भरी ज़िंदगी, तनाव, पैकेट वाले प्रोसेस्ड खाने पर बढ़ती निर्भरता, और शारीरिक मेहनत की कमी, यह सब मिलकर हमारे शरीर को अंदर से खोखला कर रहे हैं और कैंसर जैसी बीमारियों को सीधा न्योता दे रहे हैं।

बढ़ता प्रदूषण: हमारे शहरों की हवा में घुलता ज़हर और हमारे खाने में मिलते केमिकल्स भी कैंसर के मामलों को बढ़ाने में एक बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।

स्वास्थ्य सेवाओं तक असमान पहुँच: भारत में आज भी शहरों और गांवों की स्वास्थ्य सेवाओं में ज़मीन-आसमान का फर्क है। गांवों और छोटे शहरों में आज भी लोग कैंसर के लक्षणों को पहचानने में देर कर देते हैं और जब तक बीमारी का पता चलता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।

जागरूकता की कमी: सही जानकारी का अभाव एक बहुत बड़ा दुश्मन है। लोग आज भी कैंसर की शुरुआती जांच करवाने से हिचकिचाते हैं, जबकि यह एक ऐसी बीमारी है जिसका अगर समय रहते पता चल जाए तो इलाज संभव है।

यह सिर्फ आंकड़े नहीं, एक चेतावनी है

यह रिपोर्ट और इसके आंकड़े हमें डराने के लिए नहीं, बल्कि जगाने के लिए हैं। यह हमें यह बताने के लिए हैं कि अब हमें अपनी सेहत को, अपनी जीवनशैली को और अपने आसपास के माहौल को गंभीरता से लेना ही होगा। यह एक ऐसी लड़ाई है जिसे सिर्फ डॉक्टर और अस्पताल नहीं जीत सकते। इस लड़ाई को हर घर, हर इंसान को अपनी जागरूकता और सही आदतों से लड़ना होगा।