
Up Kiran, Digital Desk: खेल जगत में एक नया सितारा उभरा है! पांच साल की नन्हीं सी शतरंज प्रतिभा (Chess Prodigy) आरिणी लाहोटी (Aarini Lahoty) ने इतिहास रच दिया है। वह FIDE-रेटेड शतरंज खिलाड़ी (FIDE-Rated Chess Player) बनने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय महिला बन गई हैं, जिससे उनकी इस अद्भुत उपलब्धि ने देशभर में सुर्खियां बटोर ली हैं। उनका यह कारनामा 2024 में कोलकाता की 6 वर्षीय खिलाड़ी द्वारा बनाए गए पिछले रिकॉर्ड को तोड़ते हुए आया है, जो बताता है कि भारतीय शतरंज में नई पीढ़ियों का कितना तेजी से उदय हो रहा है।
अद्भुत उपलब्धि: कैसे हासिल की FIDE रेटिंग 1152
आरिणी ने बेंगलुरु (Bengaluru) में आयोजित एक FIDE-रेटेड शतरंज टूर्नामेंट (FIDE-Rated Chess Tournament) में अपनी असाधारण प्रतिभा का प्रदर्शन किया। इस टूर्नामेंट में, उन्होंने 9 राउंड खेले और अंततः 1152 की FIDE रेटिंग हासिल करके सबको हैरान कर दिया। यह एक असाधारण उपलब्धि है, खासकर इतनी कम उम्र में, जो शतरंज के प्रति उनकी गहरी समझ और लगन को दर्शाता है। एक बच्चे के लिए इतनी कम उम्र में ऐसे उच्च-स्तरीय टूर्नामेंट में भाग लेना और उत्कृष्ट प्रदर्शन करना बेहद दुर्लभ है।
पारिवारिक प्रेरणा और पहला कदम: COVID के दौरान बनी शुरुआत!
आरिणी की इस उपलब्धि के पीछे उनके परिवार का बड़ा हाथ है, खासकर उनके माता-पिता ए.वी.एन. लाहोटी (A V N Lahoty) और डॉ. अंजुरी अग्रवाल लाहोटी (Dr. Anjuri Agrawal Lahoty)। उनके पिता, जो हैदराबाद (Hyderabad) में सीमेंस के लिए काम करते हैं, ने COVID-19 महामारी के दौरान आरिणी को शतरंज की मूल बातें सिखाईं। उनकी माँ डॉ. अंजुरी अग्रवाल लाहोटी की अपनी प्रैक्टिस है, और उन्होंने भी आरिणी को पूरा समर्थन दिया।
आरिणी को अपनी बड़ी बहन, 10 वर्षीय कानेरी लाहोटी (Kaaneri Lahoty) से भी प्रेरणा मिली। कानेरी खुद एक FIDE-रेटेड शतरंज खिलाड़ी हैं और उनकी रेटिंग 1222 है, जो उन्होंने पिछले साल 9 साल की उम्र में हासिल की थी। आरिणी अपनी बहन को खेलते हुए देखती थी, और यहीं से उनकी भी शतरंज में रुचि जागृत हुई। कानेरी ने पिछले साल 9 साल की उम्र में अपनी रेटिंग हासिल कर सबसे कम उम्र की खिलाड़ियों में से एक बनने का रिकॉर्ड बनाया था, लेकिन आरिणी ने अपनी बहन का ही रिकॉर्ड तोड़कर एक नई ऊंचाई छू ली है।
भविष्य के लक्ष्य: ग्रैंडमास्टर बनने का सपना:आरिणी का लक्ष्य अब उच्च रेटिंग हासिल करना है और अंततः ग्रैंडमास्टर (Grandmaster - GM) या महिला ग्रैंडमास्टर (Woman Grandmaster - WGM) बनना है। इतनी कम उम्र में FIDE-रेटेड खिलाड़ी बनना एक खिलाड़ी के करियर की बहुत ही महत्वपूर्ण शुरुआती सफलता है और अक्सर यह एक संकेत होता है कि भविष्य में बड़े रिकॉर्ड टूटेंगे। उनके माता-पिता को उनकी बेटी की इस अविश्वसनीय उपलब्धि पर बहुत गर्व है और वे उनके सपनों को पूरा करने के लिए हर संभव सहायता प्रदान करने को तैयार हैं। आरिणी की कहानी कई अन्य बच्चों और उनके माता-पिता को शतरंज और अन्य खेलों में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर सकती है। यह उपलब्धि दिखाती है कि अगर बच्चों को सही उम्र में सही मार्गदर्शन और समर्थन मिले, तो वे असाधारण चीजें हासिल कर सकते हैं।