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Up Kiran, Digital Desk: त्योहारों और सांस्कृतिक आयोजनों की रौनक में कुछ तो जादू होता है, जो हर किसी के मन को मोह लेता है. इस बार आंध्र प्रदेश में 'नृत्य वाहिनी' डांस फेस्टिवल (Nritya Vahini Dance Festival) में जो नजारा दिखा, उसे देखकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो गया! सोचिए, दक्षिण भारत की धरती पर, गुजरात के प्रसिद्ध लोकनृत्य 'गरबा' की गूंज और उसमें 'खोन' शैली (Khon Garba) का एक अलग ही रूप, यह सब वाकई एक अनूठा और मनमोहक अनुभव था. इस आयोजन ने यह साबित कर दिया कि कला और संस्कृति की कोई सीमा नहीं होती, यह सिर्फ दिलों को जोड़ने का काम करती है.

जब मंच पर उतरी 'खोन गरबा' की खास अदा

'नृत्य वाहिनी' महोत्सव (Nritya Vahini Mahotsav) अपने आप में एक बड़ा मंच है, जहां भारत की अलग-अलग नृत्य शैलियों का संगम देखने को मिलता है. लेकिन इस बार सभी का ध्यान खींचा 'खोन गरबा' (Khon Garba) ने. ये सिर्फ गरबा का प्रदर्शन नहीं था, बल्कि इसमें कला की एक खास और सधी हुई प्रस्तुति देखने को मिली, जिसे शायद ही किसी ने पहले देखा हो.

  1. संस्कृति का अद्भुत मिश्रण: 'खोन' थाईलैंड की पारंपरिक नृत्य शैली है, और जब इसका अद्भुत मिश्रण गुजराती गरबा के साथ हुआ, तो यह एक बिल्कुल नया और मनमोहक रूप बनकर उभरा. कलाकारों ने इतनी खूबसूरती से इन दोनों शैलियों को मिलाया कि देखने वाले दांतों तले उंगलियां दबा गए.
  2. रंग-बिरंगी पोशाकें और ऊर्जा से भरपूर नृत्य: मंच पर जैसे ही 'खोन गरबा' के कलाकार अपनी रंग-बिरंगी और पारंपरिक पोशाकों में आए, पूरे हॉल में एक नई ऊर्जा भर गई. उनके हर स्टेप, हर घुमाव में गरबा का पारंपरिक जोश और खोन की शास्त्रीय लालित्य स्पष्ट झलक रहा था.
  3. दर्शकों का उत्साह: दर्शकों का उत्साह भी देखते ही बन रहा था. तालियों की गड़गड़ाहट और "वाह वाह" की आवाज़ें लगातार गूंज रही थीं. लोग इस अनूठे नृत्य को अपने कैमरों में कैद करने के लिए उत्सुक थे, और हर कोई एक-दूसरे से इस अनोखी प्रस्तुति की तारीफ कर रहा था.
  4. नृत्य महोत्सव को मिली नई पहचान: 'खोन गरबा' की इस सफल और शानदार प्रस्तुति ने 'नृत्य वाहिनी' उत्सव को एक नई पहचान दी है. इसने यह भी दिखा दिया कि हमारी सांस्कृतिक धरोहरों को अगर नए प्रयोगों के साथ पेश किया जाए, तो वे और भी आकर्षक और विश्वव्यापी बन सकती हैं.

यह उत्सव सिर्फ नृत्य और संगीत का संगम नहीं था, बल्कि यह विविधता में एकता की भावना को भी दर्शाता है. यह बताता है कि कैसे विभिन्न संस्कृतियां एक साथ मिलकर एक नया और सुंदर कलात्मक रूप दे सकती हैं, और कैसे ऐसे आयोजन हमें अपनी जड़ों से जोड़े रखते हैं, साथ ही हमें दुनिया से रूबरू भी कराते हैं. वाकई, 'नृत्य वाहिनी' में 'खोन गरबा' की चमक हमेशा याद रहेगी!