
Up Kiran, Digital Desk: बारिश का मौसम पौधों के लिए वरदान तो होता है, क्योंकि उन्हें प्राकृतिक रूप से पानी मिलता है और चारों तरफ हरियाली छा जाती है। लेकिन यही मौसम कुछ चुनौतियों भी लेकर आता है, खासकर अगर पौधों की सही देखभाल न की जाए। ज्यादा पानी, कीट और फंगल इंफेक्शन इस दौरान पौधों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। अगर आप भी गार्डनिंग के शौकीन हैं, तो बारिश के मौसम में अपने पौधों को स्वस्थ और हरा-भरा रखने के लिए ये 'जरूरी' गाइड आपके बहुत काम आएगी।
जल निकासी (Drainage) का ध्यान रखें: बारिश के मौसम में सबसे महत्वपूर्ण बात है मिट्टी में पानी का जमाव न होने देना। अगर गमलों में पानी ठहर गया तो जड़ें सड़ सकती हैं।
गमलों के नीचे छेद पर्याप्त हों और वे बंद न हों।
मिट्टी में रेत या परलाइट मिलाएं ताकि पानी आसानी से निकल जाए।
बारिश के दौरान पौधों को ऐसी जगह रखें जहां अतिरिक्त पानी निकल सके।
ओवर-वाटरिंग से बचें: भले ही बारिश हो रही हो, फिर भी मिट्टी की नमी जांच कर ही पानी दें। कभी-कभी ऊपरी सतह सूख जाती है लेकिन अंदर नमी बनी रहती है। ज्यादा पानी देने से बचें।
कीट और बीमारियों से बचाव: मानसून में कीट और फंगस का खतरा बढ़ जाता है।
पौधों का नियमित निरीक्षण करें। पत्तियों के नीचे या तने पर किसी भी कीट या फंगस के लक्षण (जैसे सफेद धब्बे, काले धब्बे) पर नजर रखें।
नीम का तेल (Neem oil) या जैविक कीटनाशकों का छिड़काव करें।
सूखी या संक्रमित पत्तियों को तुरंत हटा दें ताकि संक्रमण फैले नहीं।
छंटाई (Pruning) और साफ-सफाई: बारिश में खराब, पीली या रोगग्रस्त पत्तियों और टहनियों को हटा दें। इससे पौधे में हवा का संचार बेहतर होगा और बीमारियों का खतरा कम होगा।
मिट्टी से गिरे हुए पत्ते या सड़ी-गली चीजों को हटाते रहें, क्योंकि ये फंगस को पनपने के लिए अच्छी जगह देते हैं।
पोषण का ध्यान रखें: बारिश के पानी से कुछ पोषक तत्व बह सकते हैं।
हल्की मात्रा में जैविक खाद (Organic manure) या तरल खाद दें।
केमिकल फर्टिलाइजर से बचें, खासकर तब जब मिट्टी बहुत गीली हो।
पौधों को सहारा दें: तेज हवाओं और बारिश से पौधे टूट सकते हैं। खासकर बड़े और नए पौधों को सहारा देने के लिए स्टिक या डोरी का इस्तेमाल करें।
धूप का ध्यान: बारिश के बाद जब धूप निकले तो पौधों को पर्याप्त धूप मिलने दें। धूप फंगस को पनपने से रोकने में मदद करती है।
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