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Up Kiran, Digital Desk: ओडिशा सरकार ने एक शानदार और दिल को छू लेने वाला फैसला लिया है। नोबेल पुरस्कार विजेता गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) का पुरी (Puri) वाला ऐतिहासिक घर, जिसका नाम ‘पथेर पुरी’ (Pather Puri) है, अब म्यूजियम में बदल जाएगा। सरकार ने फैसला किया है कि पहले इसकी पूरी मरम्मत होगी, फिर इसे उनकी याद में एक खूबसूरत संग्रहालय बनाया जाएगा।

क्यों खास है ये ‘पथेर पुरी: समुद्र तट के पास चक्रतीर्थ रोड पर स्थित, यह जगह सिर्फ एक मकान नहीं है, बल्कि साहित्य के एक पूरे दौर का गवाह है। इतिहासकारों के मुताबिक, रबींद्रनाथ टैगोर इस विरासत भवन में कुछ समय के लिए रुके थे और इसी दौरान उन्होंने अपनी कुछ प्रसिद्ध रचनाएं जैसे ‘प्रवासी’, ‘जन्मोदिन’ और ‘ए पारे ओ पारे’ यहीं लिखी थीं। आपको जानकर हैरानी होगी कि उनकी विश्व प्रसिद्ध रचना ‘गीतांजलि’ (Gitanjali) का एक हिस्सा भी इसी घर की शांति में रचा गया था।

साल 1939 में यह ज़मीन टैगोर परिवार को मिली थी। बाद में, परिवार ने यह भव्य भवन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार को दान कर दिया था, और लंबे समय तक इसका इस्तेमाल एससीएस कॉलेज के लड़कों के हॉस्टल के तौर पर होता रहा।

बड़ी मुश्किल से बची ये विरासत: सालों से यह भवन खाली पड़ा था और देखरेख के अभाव में खंडहर में बदलने लगा। 2019 में आए भयानक चक्रवात फानी (Cyclone Fani) ने इसे और भी ज़्यादा नुकसान पहुँचाया।

एक समय ऐसा भी आया जब पुरी नगरपालिका ने इसे पूरी तरह गिराने का फैसला ले लिया था। तब INTACH (इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज) ने हस्तक्षेप किया। उन्होंने पश्चिम बंगाल और ओडिशा के मुख्यमंत्रियों का ध्यान इस तरफ खींचा और बहुत मुश्किल से इस इमारत को बचाया गया। हालांकि, समुद्र तट की सड़क चौड़ी करने के लिए इसकी बाहरी बाउंड्री वॉल ज़रूर तोड़ दी गई थी।

अब संस्कृति और इतिहास सहेजा जाएगा

अब ओडिया भाषा, साहित्य और संस्कृति मंत्री सूर्यवंशी सूरज (Suryabanshi Suraj) की अध्यक्षता में हुई एक हाई-लेवल बैठक में, 'पथेर पुरी' के जीर्णोद्धार (Restoration) का अहम फैसला लिया गया। स्थानीय लोग, लेखक और बुद्धिजीवी लंबे समय से इसकी बहाली की मांग कर रहे थे।

ओडिशा सरकार ने इस संरक्षण (Conservation) कार्य के लिए INTACH से भी सलाह ली है। यह शानदार कदम न केवल एक महान लेखक के घर को बचाएगा, बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों को भारत की साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत को क़रीब से समझने का मौका देगा।