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Up Kiran, Digital Desk: इस बार अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार ने फिर से यह साबित कर दिया है कि शोध सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं होता, बल्कि समाज की दिशा भी तय करता है। 2025 का प्रतिष्ठित नोबेल इन इकोनॉमिक्स तीन विशेषज्ञों जोएल मोकिर, फिलिप अघियन और पीटर हॉविट को उनके इनोवेशन-आधारित आर्थिक विकास के मॉडल पर आधारित रिसर्च के लिए दिया गया है।
इनका शोध सीधे इस सवाल से जुड़ा है कि एक देश तेजी से कैसे तरक्की कर सकता है जवाब है। यानी जब देश नई तकनीकों विचारों और रचनात्मक सोच को अपनाते हैं, तब वे तेजी से विकास कर पाते हैं।
क्या मतलब है आम नागरिकों के लिए
इस रिसर्च का असर सिर्फ सरकारों तक सीमित नहीं है। यह मॉडल बताता है कि अगर नीतियां सही हों, तो हर आम आदमी के जीवन में भी बदलाव संभव है शिक्षा, रोजगार और टेक्नोलॉजी की पहुंच जैसी चीजें सीधे इस सिद्धांत से जुड़ी हैं।
पिछली बार की रिसर्च ने क्यों मचाई थी हलचल
2024 में नोबेल जीतने वाले अर्थशास्त्री डेरॉन ऐसमोग्लू, साइमन जॉनसन और जेम्स ए रॉबिन्सन ने यह दिखाया था कि किन वजहों से कुछ देश अमीर होते हैं और बाकी गरीब रह जाते हैं। उन्होंने कहा था कि स्वतंत्रता, पारदर्शिता और लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले देश ज़्यादा बेहतर विकास करते हैं।
उनका काम इस बात पर रोशनी डालता है कि केवल आर्थिक नीतियां नहीं, बल्कि समाज का ढांचा भी बड़ी भूमिका निभाता है।
क्या आपको पता है, ये पुरस्कार असली नोबेल नहीं है
शायद यह जानकर आपको हैरानी हो, लेकिन अर्थशास्त्र का नोबेल असली नोबेल पुरस्कारों की सूची में शामिल नहीं था। इसे बैंक ऑफ स्वीडन ने 1968 में शुरू किया था अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में।
इसलिए इसका आधिकारिक नाम है, स्वीडन के केंद्रीय बैंक द्वारा अर्थशास्त्र में अल्फ्रेड नोबेल की याद में दिया जाने वाला पुरस्कार।
विज्ञान से शांति तक, बाकी नोबेल भी घोषित
पिछले हफ्ते चिकित्सा, भौतिकी, रसायन, साहित्य और शांति के क्षेत्रों में भी नोबेल पुरस्कारों की घोषणा हो चुकी है। परंपरा के अनुसार, सभी विजेताओं को 10 दिसंबर को अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि पर सम्मानित किया जाएगा।
अब तक यह पुरस्कार 96 बार अलग-अलग विद्वानों को मिल चुका है और हर साल यह दुनिया को सोचने पर मजबूर कर देता है कि बदलाव के लिए जरूरी है विचार, शोध और हिम्मत।