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शादी तय हो गई है, तारीख तय हो गई है। शादी के लिए सभी लोग इकट्ठे हुए, रस्में पूरी हुईं। मगर शादी से पहले दूल्हा-दुल्हन के बीच विवाह सूत्र में बंधने की रस्म सात जन्मों के बंधन में बाधा साबित हुई। जब दूल्हे ने अपने भाई की दुल्हन की मांग पूरी करने में असमर्थता जताई तो दुल्हन नाराज हो गई और उसने फेरे लेने से इनकार कर दिया। सुबह से शाम तक चली समझाइश के बाद भी जब मामला नहीं सुलझा तो दूल्हा बिना दुल्हन के ही लौट गया।
बिछवां थाना क्षेत्र के हेमपुरा में शुक्रवार शाम एक शादी समारोह होना था। कासगंज के सोरों स्थित एक मोहल्ले से जब बारात गांव पहुंची तो परिवार के लोगों ने बारात का भव्य स्वागत किया। बैंड-बाजे के साथ बारात दुल्हन के दरवाजे पर पहुंची। वहां, दूल्हा-दुल्हन ने मंच पर एक-दूसरे को माला पहनाई और साथ में दावत का लुत्फ उठाया।
शादी की सभी रस्में खुशी-खुशी पूरी होने के बाद दूल्हा-दुल्हन प्रदक्षिणा की रस्म के लिए रात दो बजे मंडप में पहुंचे। वहां पुजारी ने दुल्हन के भाई से विवाह के लिए फेरे की रस्म निभाने को कहा। शादी से पहले दुल्हन के भाई ने दूल्हे से उपहार मांगा। उस समय जब नेग की मांग बड़ी हो गई तो दूल्हे ने मांग पूरी करने में असमर्थता जताई और मांग कम करने को कहा। ये सुनते ही दूल्हे और दुल्हन के भाई के बीच बहस शुरू हो गई। इस बीच, जब बहस बढ़ गई तो दुल्हन नाराज हो गई और उसने फेरे लेने से इनकार कर दिया।
इस बार रिश्तेदारों के समझाने पर भी दुल्हन नहीं मानी। इस मामले को सुलझाने के लिए शनिवार सुबह दोनों पक्षों की पंचायत हुई। बहस शाम तक चली, मगर कोई समाधान नहीं निकला। इसी बीच पुलिस भी गांव पहुंच गई। आपसी सहमति से एक समझौता हुआ। इसके बाद दूल्हा और बाराती बिना दुल्हन के ही कासगंज लौट गए।
इस संबंध में बिछवां थाना प्रभारी आशीष दुबे ने बताया कि सूचना मिली है कि एक शादी को लेकर दूल्हा-दुल्हन पक्ष में विवाद हो गया। दोनों पक्षों के बीच आपसी सहमति बन गई है। किसी भी पक्ष द्वारा पुलिस में कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है।