Up Kiran, Digital Desk: जिला अस्पताल की भीड़ से परेशान होकर जब एक मरीज इलाज के लिए निजी अस्पताल पहुंचा, तब उसे उम्मीद थी कि जल्द राहत मिलेगी। लेकिन अस्पताल में जो अनुभव हुआ, उसने तीमारदार की परेशानी और बढ़ा दी।
हुमायूंपुर के निवासी मुनीष त्रिवेदी पिछले कुछ दिनों से तेज बुखार से पीड़ित हैं। शनिवार सुबह उनके परिजन आयुष त्रिवेदी उन्हें लेकर पहले जिला अस्पताल पहुंचे। वहां स्थिति यह थी कि एक ही बेड पर दो-दो मरीज भर्ती थे। ऐसे में मजबूरीवश उन्हें नगर के साईं संजीवनी अस्पताल का रुख करना पड़ा।
आयुष त्रिवेदी ने बताया कि मुनीष का आयुष्मान भारत कार्ड बना हुआ है और उन्हें लगा कि इसका लाभ मिल सकेगा। लेकिन जब अस्पताल के स्टाफ को इसकी जानकारी दी गई तो उन्होंने इलाज से मना कर दिया। उनका कहना था कि यहां सिर्फ सर्जरी से संबंधित सेवाएं ही दी जाती हैं। अगर बुखार जैसे सामान्य रोग का इलाज चाहिए, तो पहले पैसे जमा करने होंगे।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए तीमारदार ने पहले 1600 रुपये जमा किए। इसके बाद डॉक्टरों ने मरीज को देखा। कुछ देर बाद भर्ती के लिए 3000 रुपये और मांगे गए, जिन्हें देने के बाद इलाज शुरू हुआ।
आयुष ने आरोप लगाया कि जब उन्होंने अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलने की कोशिश की, तो उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया। न ही किसी ने समस्या को गंभीरता से लिया।
बाद में उन्होंने हेल्पलाइन नंबर पर पूरे मामले की शिकायत दर्ज कराई। लेकिन अभी तक उन्हें पैसे की कोई वापसी नहीं की गई है। आयुष का कहना है कि मरीज को लगातार तेज बुखार है और उन्होंने जांचें भी करवाई हैं, पर कोई संतोषजनक समाधान नहीं मिला।
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