
Up Kiran , Digital Desk:हिन्दू धर्म में तुलसी के पौधे को देवी स्वरूप मानकर पूजा जाता है। शायद ही कोई ऐसा भारतीय घर हो जिसके आंगन में तुलसी का पौधा विराजमान न हो। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रतिदिन सुबह उठकर तुलसी को जल अर्पित करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि धार्मिक महत्व के साथ-साथ यह छोटा सा पौधा औषधीय गुणों का भी खजाना है? आयुर्वेद में सदियों से तुलसी का उपयोग कई गंभीर बीमारियों के इलाज में किया जाता रहा है। आज हम आपको बताएंगे कि आपके घर में लगी यह पवित्र तुलसी आपको किन-किन स्वास्थ्य समस्याओं से बचा सकती है और आपके लिए कितनी फायदेमंद साबित हो सकती है।
प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य बालकृष्ण के अनुसार भी, तुलसी के पत्तों में कई बीमारियों का इलाज छिपा है। इसकी पत्तियों में अद्भुत रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है जो बुखार, हृदय रोग, पेट दर्द, मलेरिया और बैक्टीरियल संक्रमण जैसी समस्याओं से हमारी रक्षा करती है।
आइए जानते हैं तुलसी किन बीमारियों में है असरदार:
दिमाग के लिए अमृत समान:
तुलसी में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो मस्तिष्क को शांत करने, उसकी कार्य क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं।
यह सिर दर्द से राहत दिलाने, सिर में जूं और लीख की समस्या को दूर करने तथा रतौंधी (Night Blindness) में भी आराम पहुंचा सकती है।
उपयोग: रोजाना 4-5 तुलसी के पत्ते पानी के साथ सेवन करें। सिर में तुलसी के पत्तों का रस भी लगाया जा सकता है।
कान और दांत दर्द में तुरंत राहत:
बच्चों या बड़ों, किसी को भी कान में दर्द होने पर तुलसी के पत्तों का रस डालने से आराम मिलता है।
उपयोग (कान दर्द): तुलसी के 8-10 पत्तों को पीसकर उसका रस निकाल लें और 2-3 बूंद कान में डालें।
उपयोग (दांत दर्द): दांत दर्द होने पर तुलसी के पत्ते और थोड़ी सी काली मिर्च चबाने से फायदा मिलता है।
पेट की समस्याओं का अचूक उपाय:
तुलसी डायरिया (दस्त), पेट की मरोड़, कब्ज, पीलिया, पथरी और डिलीवरी के बाद होने वाले दर्द से छुटकारा दिलाने में सहायक है।
उपयोग (डायरिया/पथरी): 10 तुलसी की पत्तियां और 1 ग्राम जीरा, दोनों को पीसकर शहद में मिलाकर सेवन करें।
उपयोग (अपच): तुलसी को नमक के साथ पीसकर दिन में 3 से 4 बार लेने से अपच की समस्या दूर होती है।
चमकती त्वचा और दाग-धब्बों से छुटकारा:
तुलसी चेहरे को कांतिमय बनाने, सफेद दाग, मुंह के छालों, त्वचा के कालेपन, कील-मुंहासों और फोड़े-फुंसियों जैसी समस्याओं में भी लाभदायक है।
उपयोग: तुलसी के पत्तों को 1 नींबू के रस के साथ मिलाकर लेप तैयार करें। इसे चेहरे पर लगाएं और सूखने पर धो लें।
रोग प्रतिरोधक क्षमता का पावरहाउस:
तुलसी मलेरिया, टाइफाइड, सामान्य बुखार, दाद और खुजली जैसी समस्याओं से बचाती है। यह मासिक धर्म की अनियमितता को भी ठीक करने में मदद कर सकती है।
उपयोग (बुखार/मलेरिया/टाइफाइड): तुलसी के पत्तों को काली मिर्च के साथ मिलाकर काढ़ा बनाकर पीने से आराम मिलता है।
उपयोग (दाद/खुजली): इसका लेप बनाकर प्रभावित जगह पर लगा सकते हैं।
उपयोग (मासिक धर्म): मासिक धर्म की अनियमितता में तुलसी के बीजों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
इसके नियमित सेवन से डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल, अस्थमा और सामान्य सर्दी-जुकाम को भी नियंत्रित किया जा सकता है।
घाव भरने में भी मददगार:
तुलसी सामान्य चोटों को ठीक करने में भी फायदा पहुंचाती है। यहां तक कि सांप काटने पर भी इसके पत्तों और जड़ों का पारंपरिक रूप से इस्तेमाल किया जाता है।
उपयोग (सांप काटना): सांप काटने पर तुलसी की जड़ों को पीसकर प्रभावित जगह पर लेप लगाने से दर्द में आराम मिलता है। यदि रोगी बेहोश हो गया हो, तो तुलसी का रस नाक में भी डाला जाता है (हालांकि, ऐसे मामलों में तत्काल डॉक्टरी सहायता सर्वोपरि है)।
इस प्रकार, तुलसी न केवल हमारे आंगन की शोभा बढ़ाती है और धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह एक शक्तिशाली औषधि भी है जिसके अनगिनत स्वास्थ्य लाभ हैं। इसके नियमित और सही तरीके से सेवन से हम कई छोटी-बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं से बच सकते हैं। हालांकि, किसी भी गंभीर बीमारी की स्थिति में डॉक्टरी सलाह लेना हमेशा उचित होता है।
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