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उत्तर प्रदेश के देवरिया और गोरखपुर जिलों से दो ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जो इंसान को भीतर तक झकझोर कर रख देती हैं। एक ओर पारिवारिक कलह के चलते एक युवती ने आत्महत्या कर ली, तो दूसरी ओर खेत में एक युवक और युवती की लाशें मिलने से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई। इन दोनों मामलों ने समाज और परिवार में बढ़ती टकराव और मानसिक दबाव की ओर गंभीर इशारा किया है।
देवरिया में भाभी से विवाद से तंग आकर युवती ने दी जान
देवरिया जिले के रामपुर कारखाना थाना क्षेत्र स्थित पिपरा मदन गोपाल गांव की रहने वाली 22 वर्षीय पूजा यादव ने घरेलू कलह से तंग आकर अपनी जान दे दी। वह अभी अविवाहित थी और घर में अपने माता-पिता और बड़े भाई-भाभी के साथ रहती थी। बताया जा रहा है कि पूजा का अपनी भाभी राजनंदिनी के साथ अक्सर विवाद होता रहता था, जिससे घर का माहौल भी अक्सर तनावपूर्ण बना रहता था।
बीते दिन पूजा ने अपने मोबाइल से एक वीडियो रिकॉर्ड किया, जिसमें उसने अपनी मौत के लिए अपनी भाभी को जिम्मेदार ठहराया। इसके कुछ देर बाद, उसने पंखे की कुंडी से लटककर आत्महत्या कर ली। घटना की जानकारी मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया। पुलिस को सूचना दी गई और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया।
पूजा के पिता सूर्यपाल यादव की तहरीर पर पुलिस ने भाभी के खिलाफ मानसिक प्रताड़ना का मामला दर्ज कर लिया है। वीडियो फुटेज भी जांच में शामिल किया गया है। यह घटना एक बार फिर से यह दिखाती है कि घरेलू विवाद किस हद तक मानसिक दबाव बढ़ा सकते हैं और उन्हें समय रहते सुलझाना कितना जरूरी है।
गोरखपुर: खेत में मिले युवक-युवती के शव, आत्महत्या की आशंका
वहीं गोरखपुर जिले के चिलुआताल थाना क्षेत्र के अंतर्गत चिउथा पुल के पास गुरुवार सुबह एक खेत में एक युवक और युवती के शव मिलने से पूरे गांव में सनसनी फैल गई। स्थानीय लोगों ने जब खेत में दो लाशें देखीं, तो तुरंत पुलिस को सूचना दी। शवों की पहचान दो दिन पहले लापता हुए एक युवक और युवती के रूप में हुई।
मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू की। पुलिस के मुताबिक, युवती का चेहरा नकाब से ढका हुआ था और मौके से एक हैंडबैग, दुपट्टा, और जहर की शीशी बरामद की गई। खेत के पास ही उनका स्कूटर भी खड़ा मिला। शवों के पास किसी तरह के बाहरी चोट के निशान नहीं पाए गए, जिससे पुलिस को यह आशंका है कि दोनों ने आत्महत्या की है।
हालांकि, पुलिस अभी इस मामले में पूरी जांच कर रही है और यह स्पष्ट करने की कोशिश कर रही है कि आत्महत्या की पीछे की वजह क्या थी। क्या यह प्रेम प्रसंग था या किसी और दबाव में उठाया गया कदम, इसका पता पोस्टमार्टम और परिजनों से पूछताछ के बाद ही चल सकेगा।
दोनों घटनाएं समाज को देती हैं एक गहरी चेतावनी
देवरिया और गोरखपुर की ये घटनाएं सिर्फ आंकड़े नहीं हैं, बल्कि सामाजिक और मानसिक जटिलताओं का जीता-जागता उदाहरण हैं। जहां एक ओर घरेलू कलह ने एक मासूम लड़की की जान ले ली, वहीं दूसरी ओर एक जोड़े ने शायद सामाजिक या पारिवारिक दबाव के चलते जान देने जैसा कदम उठा लिया।
यह समय है, जब हमें मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से लेना होगा। परिवार के भीतर संवाद बढ़ाना होगा और ऐसे हालात बनने से पहले ही सुलह-सफाई की कोशिश करनी होगी। युवाओं को भी समझाने की जरूरत है कि कोई भी समस्या इतनी बड़ी नहीं होती कि उसका हल मौत हो।
हमें एक ऐसा माहौल बनाना होगा जहां लोग अपने मन की बात खुलकर कह सकें, मदद मांग सकें, और उन्हें समझा भी जा सके। ये घटनाएं सिर्फ दुख नहीं, चेतावनी हैं—जो हम सभी के लिए एक सबक बन सकती हैं, अगर हम चाहें।
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