
Up Kiran, Digital Desk: जामदानी, जो अपने जटिल और नाजुक बुनाई पैटर्न के लिए प्रसिद्ध है, केवल एक कपड़ा नहीं, बल्कि एक कला रूप है जिसे यूनेस्को ने 'मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत' के रूप में मान्यता दी है। यह बुनाई की वह शैली है जो भारत और बांग्लादेश, विशेष रूप से ढाका क्षेत्र में सदियों से पनपी है, और अपनी शानदार सुंदरता, हल्केपन और जटिल डिज़ाइनों के लिए जानी जाती है।
जामदानी क्या है? जामदानी एक हाथ से बुनी हुई मलमल है जो अपनी बारीक बनावट और फूलों, ज्यामितीय और पशु रूपांकनों के लिए जानी जाती है, जिन्हें कपड़े में सीधे बुना जाता है। यह 'पूरक बाने' (supplementary weft) तकनीक का उपयोग करके बनाया जाता है, जहाँ डिज़ाइन के धागों को मुख्य बाने के धागों के साथ जोड़कर बुना जाता है, जिससे कपड़े की सतह पर एक उभरा हुआ या फ्लोटिंग पैटर्न बनता है। यह पैटर्न इतना जटिल और श्रम-गहन होता है कि एक साड़ी बनाने में कई सप्ताह या महीने लग सकते हैं।
इतिहास और उत्पत्ति: जामदानी की उत्पत्ति सदियों पुरानी है, जिसके प्रमाण तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से मिलते हैं। मुगल काल के दौरान इसे विशेष रूप से संरक्षण मिला, जब शाही दरबारों द्वारा इसे अत्यधिक महत्व दिया गया। ढाका के आसपास के बुनकर इस कला के लिए प्रसिद्ध हुए। समय के साथ, ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के तहत इसे भारी नुकसान हुआ, लेकिन इसने पुनरुत्थान किया और आज भी यह एक महत्वपूर्ण शिल्प बना हुआ है।
यूनेस्को मान्यता का महत्व: 2013 में, यूनेस्को ने जामदानी बुनाई के पारंपरिक कला को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता दी। यह मान्यता न केवल इस अनूठी बुनाई शैली के सांस्कृतिक महत्व को स्वीकार करती है, बल्कि इसके संरक्षण और भविष्य की पीढ़ियों तक इसके ज्ञान को हस्तांतरित करने के प्रयासों को भी बढ़ावा देती है।
आधुनिक प्रासंगिकता: आज भी, जामदानी साड़ियाँ, दुपट्टे और अन्य वस्त्र अपनी भव्यता और कारीगरी के लिए अत्यधिक मूल्यवान हैं। डिजाइनर समकालीन शैलियों में भी जामदानी को शामिल कर रहे हैं, जिससे यह पारंपरिक कला आधुनिक फैशन में प्रासंगिक बनी हुई है। इसे पहनना केवल एक कपड़ा पहनना नहीं, बल्कि इतिहास, कला और अद्वितीय बुनाई परंपरा के एक टुकड़े को अपनाना है।
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