
Up Kiran, Digital Desk: भारत ने एक बार फिर अपनी रक्षा क्षमताओं को नए स्तर पर पहुंचाया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने ओडिशा के बालासोर में स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज में मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल ‘अग्नि-प्राइम’ का ऐतिहासिक परीक्षण किया। यह परीक्षण इसलिए खास है क्योंकि इसे एक विशेष रूप से तैयार की गई रेल-आधारित मोबाइल लॉन्च प्रणाली से अंजाम दिया गया — ऐसी क्षमता फिलहाल केवल कुछ ही देशों के पास है।
आम नागरिकों के लिए क्या मायने रखता है यह परीक्षण?
जहां यह परीक्षण सैन्य दृष्टि से बेहद अहम है, वहीं इसका अप्रत्यक्ष असर आम लोगों पर भी पड़ता है। मजबूत और उन्नत मिसाइल सिस्टम से देश की सामरिक शक्ति बढ़ती है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा और राजनीतिक स्थिरता को मजबूती मिलती है। इससे देश में निवेश, तकनीकी विकास और आत्मनिर्भरता की दिशा में भरोसा भी बढ़ता है।
रक्षा मंत्री ने दी बधाई, साझा किया वीडियो
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस परीक्षण की जानकारी सोशल मीडिया पर साझा करते हुए इसे भारत की सुरक्षा क्षमताओं में बड़ा मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा कि यह मिसाइल करीब 2000 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है और इसमें कई आधुनिक तकनीकी खूबियां शामिल हैं। उन्होंने DRDO, सामरिक बल कमान और सशस्त्र बलों को इस सफलता के लिए बधाई दी।
क्या है खास इस तकनीक में?
इस परीक्षण की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि इसे एक ऐसे मोबाइल लॉन्चर से अंजाम दिया गया जो रेलवे ट्रैक पर बिना किसी प्रतिबंध के देशभर में कहीं भी घूम सकता है। इससे सशस्त्र बलों को दुश्मन की नज़र से बचते हुए कम समय में कार्रवाई करने की शक्ति मिलती है। यह लचीलापन भारत की निवारक नीति को मजबूत बनाता है और ऑपरेशनल विकल्पों को बढ़ाता है।
चलती ट्रेन से प्रक्षेपण: तकनीक जो बदल सकती है गेम
इस तकनीक के माध्यम से मिसाइल लॉन्च करने का मतलब है कि लॉन्चर की लोकेशन को ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है। यह रणनीतिक रूप से बेहद प्रभावी है क्योंकि यह दुश्मन को अचूक जवाब देने की तैयारी को छिपाए रखने में मदद करता है। सेना अब कम समय में मिसाइल को तैनात कर सकती है और किसी भी परिस्थिति में जवाब देने की स्थिति में रहती है।
अग्नि-प्राइम की तकनीकी खूबियां
अग्नि-प्राइम मिसाइल DRDO की अग्नि श्रृंखला का अगला कदम है। यह पहले के मॉडलों के मुकाबले हल्की है, तेजी से तैनात की जा सकती है और इसकी सटीकता कहीं अधिक है। इसमें प्रयोग की गई तकनीक भविष्य की मिसाइल प्रणालियों के लिए भी मार्गदर्शक बनेगी।