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Up Kiran, Digital Desk: मानसून की बहार अपने साथ जहां गर्मी से राहत लेकर आती है, वहीं यह कुछ गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों को भी जन्म देता है। लेप्टोस्पायरोसिस, जिसे आम बोलचाल में "चूहा बुखार" भी कहा जाता है, एक बैक्टीरियल संक्रमण है जो हर साल मानसून के दौरान तेज़ी से फैलता है। भारी बारिश, जलभराव और बाढ़ जैसी स्थितियाँ मनुष्यों के दूषित पानी और मिट्टी के संपर्क में आने की संभावना को काफी बढ़ा देती हैं। लेप्टोस्पाइरा बैक्टीरिया, जो मुख्य रूप से चूहों के मूत्र से फैलते हैं, ऐसी परिस्थितियों में अधिक पनपते हैं, जिससे यह मौसम संक्रमण के प्रकोप के लिए उच्च जोखिम वाला हो जाता है।
मानसून में लेप्टोस्पायरोसिस क्यों बढ़ता है?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, स्थिर (stagnant) बारिश का पानी, जिसमें सीवेज और कचरा मिल जाता है, लेप्टोस्पाइरा बैक्टीरिया के पनपने के लिए एक आदर्श वातावरण तैयार करता है। जब लोग बाढ़ के पानी में चलते हैं, तो ये बैक्टीरिया त्वचा पर मौजूद छोटे कट, घावों या आंखों, नाक और मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रोजमर्रा के आवागमन और जीवन में जलभराव वाली सड़कों से गुजरना आम बात है, जिसके कारण संक्रमण का खतरा व्यापक रूप से फैल जाता है।
पहचानें लेप्टोस्पायरोसिस के लक्षण:
लेप्टोस्पायरोसिस के लक्षण अक्सर बुखार, ठंड लगना, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द और आंखों में लालिमा के साथ शुरू होते हैं। ये लक्षण वायरल बुखार या फ्लू के समान लग सकते हैं, जिससे शुरुआती पहचान मुश्किल हो जाती है। समय पर इलाज न मिलने पर, यह संक्रमण लिवर, किडनी या फेफड़ों तक फैल सकता है, जिससे गंभीर जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए, लक्षणों को पहचानना और त्वरित चिकित्सा सहायता लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
मानसून में सुरक्षित रहने के लिए निवारक उपाय:
लेप्टोस्पायरोसिस से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका रोकथाम है। डॉ. अनिकेत मुले, कंसल्टेंट – इंटरनल मेडिसिन, किम्स हॉस्पिटल्स, ठाणे, के अनुसार, कुछ सरल जीवनशैली की आदतें जोखिम को काफी कम कर सकती हैं:
पैरों को सुरक्षित रखें: बाढ़ के पानी में नंगे पैर चलने से बचें। यदि चलना अनिवार्य हो, तो सुरक्षात्मक फुटवियर (जैसे गमबूट) अवश्य पहनें।
घावों को ढकें: किसी भी कट या खरोंच को वाटरप्रूफ ड्रेसिंग से अच्छी तरह ढक कर रखें।
चूहों से बचाव: अपने घर को चूहों से मुक्त रखें और भोजन को ठीक से स्टोर करें ताकि वे आकर्षित न हों।
स्वच्छता बनाए रखें: रहने की जगहों के आसपास और भीतर अच्छी स्वच्छता बनाए रखना बैक्टीरियल एक्सपोजर को कम करता है।
पानी और भोजन की शुद्धता: केवल उबला हुआ या फ़िल्टर किया हुआ पानी ही पिएं। सब्जियों और फलों को खाने से पहले अच्छी तरह धोएं।
हाथों की स्वच्छता: नियमित रूप से साबुन और पानी से हाथ धोना एक महत्वपूर्ण रोकथाम उपाय है।
विशेष सावधानी उन लोगों के लिए जो अधिक जोखिम में हैं:
कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों, जैसे बच्चे, बुजुर्ग और पुरानी बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। मानसून के दौरान पेट से संबंधित समस्याओं से निपटने के तरीकों पर भी ध्यान देना चाहिए।
डॉ. अनिकेत मुले जोर देते हैं, "समय पर देखभाल और निवारक आदतें ही सबसे मजबूत सुरक्षा कवच हैं।" बारिश जहां गर्मी से राहत देती है, वहीं सतर्क और सावधान रहकर ही हम मानसून को बीमारी का नहीं, बल्कि खुशी का मौसम बना सकते हैं।
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