
नाइजीरिया में हिंसा की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। ताजा मामला देश के उत्तर-मध्य हिस्से का है, जहां मुस्लिम बंदूकधारियों ने ईसाई किसान समुदाय पर हमला कर दिया। इस हमले में कम से कम 40 लोगों की जान चली गई, जिनमें बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल हैं। हालात इतने गंभीर हो गए कि राष्ट्रपति बोला टीनुबू को खुद सामने आकर बयान देना पड़ा।
राष्ट्रपति टीनुबू ने दी सख्त चेतावनी
राष्ट्रपति टीनुबू ने इस हिंसक हमले को लेकर गहरा दुख जताया और मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की। उन्होंने इस घटना की गंभीर जांच के आदेश दिए हैं। राष्ट्रपति ने अपने बयान में कहा:
"मैंने सुरक्षा एजेंसियों को निर्देश दिया है कि वे इस नृशंस हमले की गहन जांच करें और इसमें शामिल अपराधियों की पहचान कर उन्हें न्याय के कठघरे में लाएं।"
टीनुबू का यह बयान नाइजीरिया में लगातार हो रही हिंसा पर उनकी चिंता और सरकार की सक्रियता को दर्शाता है।
अचानक हुआ हमला, नहीं बचा पाने का मिला मौका
एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक, यह हमला अचानक और तेज़ी से किया गया, जिससे लोगों को भागने या अपनी जान बचाने का मौका ही नहीं मिला। हमलावरों ने गांव में घुसते ही गोलीबारी शुरू कर दी। कई घरों को आग के हवाले कर दिया गया, और ग्रामीणों को निशाना बनाया गया।
चरवाहों के वेश में आए हमलावर
स्थानीय सूत्रों का मानना है कि हमलावर चरवाहों के वेश में आए थे। अधिकतर हमलावरों का संबंध फुलानी समुदाय से बताया जा रहा है, जो एक मुस्लिम जनजातीय समूह है। कहा जाता है कि ये लोग अक्सर सुरक्षा व्यवस्था की कमजोरियों का फायदा उठाकर किसानों पर हमले करते हैं।
आम हो गई हैं ऐसी घटनाएं
नाइजीरिया का उत्तर-मध्य इलाका, जिसे मिडल बेल्ट कहा जाता है, लंबे समय से जातीय और धार्मिक हिंसा की चपेट में है। विशेष रूप से किसान और चरवाहों के बीच जमीन और पानी को लेकर टकराव आम हैं। इन झड़पों में अक्सर जान-माल का भारी नुकसान होता है, लेकिन ठोस समाधान अब तक नहीं निकल पाया है।
सरकार पर उठ रहे सवाल
इन हमलों के बाद सरकार की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठ रहे हैं। जानकारों का कहना है कि नाइजीरिया में ग्रामीण इलाकों की सुरक्षा को लेकर प्रशासनिक लापरवाही लगातार सामने आ रही है। यहां की असमान आर्थिक स्थिति, धार्मिक विभाजन और राजनीतिक अस्थिरता ने हालात को और जटिल बना दिया है।