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Up Kiran, Digital Desk: भारत की किस्मत अच्छी नहीं रही कि उसे ऐसे पड़ोसी मिले जो हमारी तरक्की और अस्तित्व को देखकर कभी खुश नहीं हुए।" यह कड़वी और खरी बात कही है देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने, जिन्होंने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के वीर योद्धाओं को सम्मानित करते हुए देश के दुश्मनों को एक कड़ा और साफ संदेश दिया।

उन्होंने कहा कि चाहे वो पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (PoK) हो या चीन के कब्जे वाला अक्साई चिन, ये दोनों ही हमारे पड़ोसियों की बुरी नीयत का नतीजा हैं, जिसकी जड़ें भारत की आजादी और बंटवारे के समय से जुड़ी हुई हैं।

अब हम पहले वाले भारत नहीं रहे जरूरत पड़ी तो बॉर्डर भी पार करेंगे!

रक्षा मंत्री ने सिर्फ इतिहास का जिक्र ही नहीं किया, बल्कि आज के 'नए भारत' की ताकत का एहसास भी कराया। उन्होंने एक सीधी चेतावनी देते हुए कहा:
"पहले हम सीमा पार करके जवाबी कार्रवाई करने से हिचकते थे। लेकिन अब दुनिया को यह पता चल चुका है कि भारत अब पहले जैसा नहीं रहा। हम अब किसी को अपनी एक इंच जमीन पर भी कब्जा नहीं करने देंगे और अगर हमें उकसाया गया तो हम जवाब देने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं, सरहद पार भी कर सकते हैं।"

राजनाथ सिंह का इशारा साफ तौर पर उरी और बालाकोट में हुई सर्जिकल स्ट्राइक की तरफ था, जिसने दुनिया भर में भारत की छवि को बदलकर रख दिया।

जब शहीदों की विधवाओं ने भरे मांग में 'सिंदूर' और सेना चल पड़ी जंग जीतने

इस कार्यक्रम में राजनाथ सिंह ने 1965 के युद्ध से जुड़ा एक ऐसा अविश्वसनीय और रोंगटे खड़े कर देने वाला किस्सा सुनाया, जिसे "ऑपरेशन सिंदूर" के नाम से जाना जाता है।

यह कहानी है 7 गार्ड्स ब्रिगेड की, जिसने 1965 की लड़ाई में पाकिस्तान को धूल चटा दी थी। युद्ध पर जाने से ठीक पहले, इसी ब्रिगेड के कुछ जवान एक पिछली लड़ाई में शहीद हो चुके थे। तब, उन शहीदों की वीर विधवाओं ने एक अभूतपूर्व कदम उठाया। उन्होंने अपने शादी के जोड़े (दुल्हन के कपड़े) पहने और मांग में सिंदूर भरा, और युद्ध पर जा रही सेना के जवानों से कहा कि वे उन्हें अपना पति और भाई मानें और उनकी लाज रखने के लिए दुश्मनों को हराकर ही लौटें।

राजनाथ सिंह ने कहा कि यह सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि भारतीय सेना के अदम्य साहस और हमारे देश की महिलाओं के त्याग और प्रेरणा का प्रतीक है।

रक्षा मंत्री का यह भाषण 1965 के योद्धाओं को सिर्फ एक श्रद्धांजलि नहीं था, बल्कि देश के दुश्मनों के लिए एक साफ संदेश था कि यह 2025 का भारत है, जो अपने वीरों का सम्मान भी करना जानता है और दुश्मनों को उन्हीं की भाषा में जवाब देना भी।