
Up Kiran, Digital Desk: किसानों के लिए उनका खेत सिर्फ एक ज़मीन का टुकड़ा नहीं होता, बल्कि उनकी पूरी दुनिया होती है. वे हर दिन इसी उम्मीद के साथ घर से निकलते हैं कि उनकी मेहनत रंग लाएगी और परिवार का पेट भरेगा. लेकिन सोचिए, क्या हो जब यही खेत एक ख़तरनाक जगह बन जाए, जहाँ हर पल जान का ख़तरा मंडरा रहा हो?
कर्नाटक के एक गांव में कुछ किसानों के साथ कुछ ऐसा ही हुआ. वे रोज़ की तरह अपने खेत में काम करने गए थे. सब कुछ सामान्य था, जब तक कि अचानक झाड़ियों से एक भालू निकलकर उन पर हमला नहीं कर देता. कोई कुछ समझ पाता, इससे पहले ही भालू ने कई लोगों को बुरी तरह घायल कर दिया. चीख-पुकार मच गई और आसपास काम कर रहे दूसरे लोग हिम्मत करके इकट्ठा हुए और किसी तरह भालू को वहां से भगाया.
घायल किसानों को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहाँ कुछ की हालत काफ़ी गंभीर बताई जा रही है. इस एक घटना ने पूरे गांव में दहशत का माहौल बना दिया है. लोग अब अपने ही खेत में जाने से डर रहे हैं. उन्हें यह समझ नहीं आ रहा कि वे अपना काम करें या अपनी जान बचाएं.
यह सिर्फ एक घटना नहीं है: यह कोई पहली बार नहीं है जब ऐसा हुआ है. पिछले कुछ सालों में जंगली जानवरों, खासकर भालू और तेंदुओं का इंसानी बस्तियों के पास आना और हमले करना बढ़ गया है. इसके पीछे की वजह भी कहीं न कहीं हम इंसान ही हैं. लगातार कटते जंगल और बढ़ते शहरीकरण ने इन जानवरों के घरों को छीन लिया है. भोजन की तलाश में वे अक्सर खेतों और गांवों की तरफ आ जाते हैं, और यहीं से इंसान और जानवर के बीच का यह ख़तरनाक संघर्ष शुरू होता है.
यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि इसका समाधान क्या है. इसका जवाब किसी एक को दोष देने में नहीं, बल्कि संतुलन बनाने में है. वन विभाग और स्थानीय प्रशासन को मिलकर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि न तो इंसानों की जान ख़तरे में पड़े और न ही बेज़ुबान जानवरों को अपनी जान गंवानी पड़े.