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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान के खिलाफ एक कूटनीतिक अभियान 'पाक बेनकाब' शुरू किया है। इस योजना का मकसद दुनिया के सामने पाकिस्तान की दोहरी नीति, आतंकवाद को लेकर उसका रवैया और भारत के खिलाफ उसके दुष्प्रचार को उजागर करना है। खास बात यह है कि इस मिशन में कांग्रेस नेता शशि थरूर और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की भूमिका चर्चा में है।
सूत्रों के अनुसार, सरकार इस अभियान में विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं के प्रतिनिधियों को शामिल कर भारत की एकता और लोकतांत्रिक विविधता का संदेश वैश्विक मंच पर देना चाहती है। शशि थरूर, जो पूर्व विदेश सेवा अधिकारी और संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, विदेश मामलों की गहरी समझ रखते हैं। वहीं, असदुद्दीन ओवैसी की मुस्लिम समाज में पकड़ और मुखर शैली पाकिस्तान द्वारा फैलाए जाने वाले 'अल्पसंख्यक उत्पीड़न' के दावों का सटीक जवाब देने में मदद कर सकती है।
'पाक बेनकाब' मिशन के तहत भारत संयुक्त राष्ट्र, OIC (इस्लामिक सहयोग संगठन) और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दस्तावेज, रिपोर्ट्स और प्रतिनिधिमंडलों के जरिए पाकिस्तान की असलियत को पेश करेगा। इसमें आतंकी समूहों को मिली शह, सीमा पार से हो रही घुसपैठ और पाकिस्तान के सोशल मीडिया नेटवर्क द्वारा भारत विरोधी अभियान जैसे विषय शामिल हैं।
थरूर और ओवैसी की इस मुहिम में संभावित भागीदारी यह दर्शाती है कि भारत एकजुट होकर, राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर, राष्ट्रहित के मुद्दों पर साझा मोर्चा बनाने को तैयार है। इससे दुनिया को यह संदेश भी जाएगा कि भारत में लोकतंत्र की विविध आवाजें भी पाकिस्तान के झूठे प्रोपेगैंडा के खिलाफ एकमत हैं।
यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बहुपक्षीय रणनीति का वैश्विक मंचों पर क्या असर पड़ता है और क्या भारत पाकिस्तान को कूटनीतिक रूप से अलग-थलग करने में सफल होता है।
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