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Up Kiran, Digital Desk: कल्पना कीजिए एक ऐसी जगह की, जहां भारत के मसालेदार रंग और ब्रिटेन की क्लासिक आर्ट एक साथ मिल रहे हों. जहां एक तरफ बनारसी साड़ी की बात हो रही हो, तो दूसरी तरफ AI से बनने वाली अगली 'मोना लिसा' की. कुछ ऐसा ही अद्भुत नज़ारा बेंगलुरु में देखने को मिला, जहां ब्रिटिश काउंसिल ने अपने पहले 'क्रिएटिव कन्वर्जेंस: ग्रोथ, रीइमेजिन्ड' कार्यक्रम की मेजबानी की.

यह सिर्फ एक कॉन्फ्रेंस या सेमिनार नहीं था, बल्कि यह भारत और ब्रिटेन के सबसे प्रतिभाशाली और रचनात्मक दिमागों का एक महाकुंभ था. यहां कलाकार, डिजाइनर, लेखक, उद्यमी और नीति-निर्माता सब एक छत के नीचे इकट्ठा हुए, ताकि यह जान सकें कि भविष्य में कला, फैशन और क्रिएटिविटी की दुनिया कैसी होगी.

क्यों ख़ास था यह आयोजन?

इस दो दिवसीय आयोजन का मकसद बिल्कुल साफ था - भारत और ब्रिटेन के बीच कला और संस्कृति के पुल को और भी मजबूत करना. ब्रिटिश काउंसिल इंडिया की डायरेक्टर, एलिसन बैरेट ने कहा, भारत और ब्रिटेन, दोनों ही देशों की रचनात्मकता में एक गहरी ऊर्जा है. यह कार्यक्रम उसी ऊर्जा को एक साथ लाने का एक मंच है, ताकि हम एक-दूसरे से सीख सकें और मिलकर कुछ नया बना सकें.

किन मुद्दों पर हुई चर्चा?

यहां भविष्य की उन सभी बड़ी बातों पर चर्चा हुई, जो हमारी और आपकी जिंदगी को बदलने वाली हैं:

क्या AI अगला पिकासो होगा?: सबसे दिलचस्प चर्चा इस बात पर हुई कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) कला की दुनिया को कैसे बदल रहा है. क्या एक मशीन कभी इंसान की तरह रचनात्मक हो सकती है? इस पर भारत और ब्रिटेन के एक्सपर्ट्स ने अपनी-अपनी राय रखी.

सस्टेनेबल फैशन का भविष्य: आज जब दुनिया 'फास्ट फैशन' के खतरों को समझ रही है, तो यहां 'सस्टेनेबल फैशन' यानी पर्यावरण के अनुकूल कपड़ों पर बात हुई. कैसे हम अपनी परंपराओं को अपनाते हुए भी फैशनेबल और जिम्मेदार बन सकते हैं, यह चर्चा का मुख्य विषय रहा.

डिजिटल दुनिया में कहानियों का जादू: आज हर कोई मोबाइल पर कहानियां देख और सुन रहा है. इस डिजिटल युग में हम अपनी कहानियों को और बेहतर तरीके से कैसे सुना सकते हैं, इस पर भी गहरी बातचीत हुई.

सबके लिए डिजाइन (Inclusive Design): ऐसी कला या ऐसा डिजाइन बनाने पर जोर दिया गया, जो समाज के हर वर्ग, हर उम्र और हर क्षमता के व्यक्ति के लिए हो.

ब्रिटिश काउंसिल के आर्ट्स इंडिया के डायरेक्टर, जोनाथन कैनेडी ने कहा, "यह सिर्फ बातचीत नहीं है, यह एक आंदोलन की शुरुआत है. हम चाहते हैं कि भारत और ब्रिटेन के कलाकार मिलकर ऐसे प्रोजेक्ट्स पर काम करें, जो दुनिया के लिए एक मिसाल बनें."

यह कार्यक्रम इस बात का सबूत था कि जब दो महान संस्कृतियां मिलती हैं, तो भविष्य की एक खूबसूरत तस्वीर बनती है. यह देखना दिलचस्प होगा कि इस 'संगम' से निकले विचार आने वाले समय में कला और रचनात्मकता की दुनिया को क्या नया आकार देते हैं.