img

Up Kiran, Digital Desk: कई बार ऐसा होता है कि हमें खांसी, बुखार और सीने में दर्द जैसी शिकायत होती है और हम उसे सामान्य निमोनिया समझकर एंटीबायोटिक दवाएं लेना शुरू कर देते हैं. लेकिन जब कई दिनों तक एंटीबायोटिक्स लेने के बाद भी हालत में कोई सुधार नहीं होता, तो यह एक गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है जिसे 'फंगल निमोनिया' कहते हैं. यह एक ऐसा फेफड़ों का संक्रमण है, जिस पर आम एंटीबायोटिक दवाओं का कोई असर नहीं होता.

क्या होता है फंगल निमोनिया और यह क्यों है अलग?

निमोनिया फेफड़ों में होने वाला एक संक्रमण है, जो बैक्टीरिया, वायरस या फंगस (फफूंद) की वजह से हो सकता है जब यह संक्रमण फंगस के कारण होता है, तो इसे फंगल निमोनिया कहा जाता है. यह आमतौर पर हवा में मौजूद फंगस के बीजाणुओं (spores) के सांस के जरिए फेफड़ों में चले जाने से होता है.

सबसे बड़ी और चिंताजनक बात यह है कि एंटीबायोटिक दवाएं सिर्फ बैक्टीरिया को मारने के लिए बनी होती हैं, फंगस पर उनका कोई प्रभाव नहीं होता. इसलिए अगर आपको फंगल निमोनिया है, तो एंटीबायोटिक्स का कोर्स पूरा करने के बाद भी आपकी तबीयत वैसी की वैसी ही बनी रह सकती है या और बिगड़ सकती है.

फंगल निमोनिया के सामान्य लक्षण क्या हैं?

फंगल निमोनिया के लक्षण काफी हद तक बैक्टीरियल या वायरल निमोनिया से मिलते-जुलते होते हैं, जिस वजह से पहली बार में इसकी सही पहचान मुश्किल हो सकती है. इसके कुछ सामान्य लक्षण हैं:

बुखार और कंपकंपी के साथ ठंड लगना

लगातार खांसी, जिसमें कभी-कभी बलगम भी आता है

सांस लेने में तकलीफ या सांस फूलना

सांस लेते या खांसते समय सीने में दर्द होना

बहुत ज्यादा थकान और कमजोरी महसूस होना

अगर ये लक्षण एंटीबायोटिक लेने के बाद भी बने रहते हैं, तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना बहुत जरूरी है.

किन लोगों को है इसका ज्यादा खतरा?

वैसे तो फंगल निमोनिया किसी को भी हो सकता है, लेकिन यह उन लोगों में ज्यादा आम है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी कमजोर होती है. ऐसे लोगों में शामिल हैं:

HIV/एड्स या कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोग

जिनका कोई अंग प्रत्यारोपण (organ transplant) हुआ हो

जो लोग लंबे समय से स्टेरॉयड जैसी दवाएं ले रहे हों

डायबिटीज के मरीज

बहुत छोटे बच्चे और बुजुर्ग

इसके अलावा, जो लोग खेती-किसानी, कंस्ट्रक्शन या गुफाओं जैसी जगहों पर काम करते हैं, जहां मिट्टी और धूल ज्यादा उड़ती है, उन्हें भी इसका खतरा अधिक होता है, क्योंकि फंगस अक्सर मिट्टी या पक्षियों की बीट में पाया जाता है.

संक्षेप में, यदि निमोनिया के लक्षण एंटीबायोटिक दवाओं से ठीक नहीं हो रहे हैं, तो इसे नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है. यह फंगल निमोनिया का संकेत हो सकता है, जिसके लिए एक अलग और सही इलाज की जरूरत होती है. इसलिए, बिना देरी किए विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह लेना ही समझदारी है.