Up kiran,Digital Desk : बजाज हाउसिंग फाइनेंस के निवेशकों के लिए आज का दिन अच्छा नहीं रहा। मंगलवार को कंपनी का शेयर 9% से ज्यादा टूटकर ₹95.26 पर आ गया। शेयर बाजार में इस बड़ी गिरावट के पीछे की वजह कोई खराब रिजल्ट नहीं, बल्कि एक बहुत बड़ी ब्लॉक डील है, जिसमें कंपनी के 'मालिक' यानी प्रमोटर बजाज फाइनेंस ने ही अपनी हिस्सेदारी बेच दी है। तो चलिए समझते हैं कि आखिर यह पूरा मामला क्या है और इसका निवेशकों पर क्या असर पड़ सकता है।
क्यों बेच दी प्रमोटर ने अपनी हिस्सेदारी?
यह कोई घबराने वाली बात नहीं है, बल्कि एक नियम का पालन करने के लिए उठाया गया कदम है।
- SEBI का नियम: बाजार नियामक SEBI का नियम कहता है कि किसी भी लिस्टेड कंपनी के मालिक (प्रमोटर) अपनी कंपनी में 75% से ज्यादा हिस्सेदारी नहीं रख सकते। बाकी हिस्सेदारी आम जनता (पब्लिक) के पास होनी चाहिए, इसे मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग (MPS) कहते हैं।
- ज्यादा थी हिस्सेदारी: बजाज हाउसिंग फाइनेंस में प्रमोटर बजाज फाइनेंस की हिस्सेदारी 88.70% थी, जो नियम से कहीं ज्यादा थी।
- नियम का पालन: इसी नियम का पालन करने के लिए, बजाज फाइनेंस ने एक ही झटके में 19.5 करोड़ शेयर (करीब 2.35% हिस्सेदारी) ₹1890 करोड़ में बेच दिए।
जब भी बाजार में इतने सारे शेयर एक साथ बिकने के लिए आते हैं, तो सप्लाई बढ़ जाती है और शेयर की कीमत पर दबाव बनता है, जिससे उसमें गिरावट आती है।
शेयर का अब तक का सफर: अर्श से फर्श तक
बजाज हाउसिंग फाइनेंस के शेयर का सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है:
- IPO: पिछले साल कंपनी ₹70 प्रति शेयर के भाव पर IPO लाई थी।
- जबरदस्त तेजी: लिस्टिंग के बाद, शेयर ने रॉकेट की रफ्तार पकड़ी और ₹190 के करीब पहुंच गया।
- 50% की गिरावट: लेकिन तब से, शेयर अपने शिखर से लगभग 50% नीचे आ चुका है, जो निवेशकों के लिए चिंता का विषय है।
कहानी में एक और पहलू भी है: कंपनी का प्रदर्शन तो शानदार है!
हैरानी की बात यह है कि एक तरफ जहां कंपनी का शेयर गिर रहा है, वहीं दूसरी तरफ कंपनी का बिजनेस शानदार प्रदर्शन कर रहा है।
- मुनाफा बढ़ा: सितंबर तिमाही में कंपनी का मुनाफा 18% बढ़कर ₹642.96 करोड़ हो गया।
- कमाई भी बढ़ी: ब्याज से होने वाली कमाई (NII) भी 34% बढ़कर ₹956 करोड़ पर पहुंच गई।
- कर्ज की क्वालिटी भी ठीक: कंपनी के NPA (डूबे हुए कर्ज) की स्थिति में भी हल्का सुधार हुआ है।
यानी, कंपनी के कामकाज में कोई दिक्कत नहीं है। गिरावट की मुख्य वजह सिर्फ प्रमोटर द्वारा अपनी हिस्सेदारी घटाना है।
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