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आजादी के बाद पहली बार मिथिलांचल के बिथान से ट्रेन सेवा की शुरुआत हुई है! पीएम मोदी ने मधुबनी से बिथान-समस्तीपुर के बीच रेल सेवा को हरी झंडी दिखाई और इस ऐतिहासिक पल ने पूरे इलाके को जश्न में डुबो दिया। दशकों का इंतजार खत्म हुआ और अब मिथिलांचल में विकास की एक नई लहर दौड़ने वाली है।

एक लंबा इंतजार एक नई शुरुआत

बिथान एक ऐसा इलाका जहां आवागमन की सुविधा हमेशा से एक चुनौती रही है। बाढ़ के दौरान तो लोगों के पास हसनपुर तक पहुंचने के लिए नाव ही एकमात्र सहारा था। सोचिए हर साल छह महीने तक इस इलाके के लोग बाढ़ की पीड़ा झेलते रहे। ऐसे में ट्रेन सेवा का शुरू होना उनके लिए किसी सपने के सच होने जैसा है।

हसनपुर-सकरी के बीच 79 किलोमीटर की रेल परियोजना जो पिछले 50 सालों से अटकी पड़ी थी आखिरकार पूरी हुई। रेलवे ने कुशेश्वर पक्षी विहार के कारण 50वें साल में जाकर रेलवे लाइन का रूट बदल दिया और तब जाकर यह संभव हो पाया। हसनपुर से बिथान तक 11 किलोमीटर की रेल लाइन तो पिछले साल ही बनकर तैयार हो गई थी और सीआरएस ने भी ट्रेन चलाने की अनुमति दे दी थी। मगर किसी वजह से ट्रेन सेवा शुरू नहीं हो पाई।

एक सपने की कहानी

बिथान-हसनपुर रेलवे लाइन की योजना 1951 में शुरू हुई थी। मगर 1953 में रेलवे बोर्ड ने बाढ़ के कारण इसे असंभव बता दिया। 1972 में तत्कालीन रेल मंत्री ललित नारायण मिश्रा ने सर्वे की घोषणा की मगर उनके निधन के बाद यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई। 1997 में रामविलास पासवान ने इस योजना को मिथिलांचल के विकास के लिए जरूरी बताते हुए फिर से शुरू किया।

मगर रामविलास पासवान के रेल मंत्री पद से हटते ही इस योजना को फिर से इग्नोर कर दिया गया। लालू प्रसाद के रेल मंत्री बनने पर इस योजना को फंड मिलना शुरू हुआ मगर दिसंबर 2008 में कुशेश्वर स्थान पक्षी विहार के कारण फिर से रोक लग गई।