Up kiran,Digital Desk : क्या आप देहरादून के वोटर हैं? अगर हाँ, तो हो सकता है कि जल्द ही कोई सरकारी कर्मचारी आपके दरवाजे पर दस्तक दे। घबराइए नहीं, यह एक बहुत बड़ी जांच का हिस्सा है, क्योंकि पिछले 22 सालों में देहरादून जिले के वोटरों की संख्या में एक हैरान करने वाला उछाल आया है। जहां पहले 8 लाख वोटर थे, आज यह आंकड़ा लगभग 16 लाख तक पहुंच गया है।
यह बढ़ोतरी इतनी बड़ी है कि अब प्रशासन ने इन बढ़े हुए मतदाताओं की पूरी कुंडली खंगालने का फैसला किया है। यानी, अब यह पता लगाया जाएगा कि ये सभी वोटर असली हैं या नहीं और उनके नाम पते सही हैं या नहीं। इसके लिए बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) ने घर-घर जाकर जांच का काम शुरू भी कर दिया है।
क्यों हो रही है यह बड़ी जांच?
दरअसल, यह एक खास प्रक्रिया है जिसे 'विशेष गहन पुनरीक्षण' (SIR) कहते हैं, जो देश के 12 राज्यों में चल रही है और जल्द ही उत्तराखंड में भी पूरी तरह से शुरू हो जाएगी। देहरादून में इसकी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं।
जांच का आधार 2003 की वोटर लिस्ट को बनाया गया है। अधिकारी 2003 की लिस्ट का आज की लिस्ट से मिलान कर रहे हैं और यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि इतने सालों में जो नए नाम जुड़े हैं, वे सही हैं या नहीं।
सबसे ज्यादा बढ़ोतरी देहरादून शहर में
इस जांच की सबसे बड़ी वजह देहरादून शहर का तेजी से हुआ विस्तार है। 2003 में यहां सिर्फ 45 वार्ड थे और वोटरों की संख्या करीब ढाई लाख थी। आज शहर 100 वार्डों का हो चुका है और अकेले शहर में ही 7.71 लाख से ज्यादा वोटर हैं। यानी, सिर्फ शहर में ही वोटरों की संख्या तीन गुना से भी ज्यादा बढ़ गई है।
कैसे हो रही है जांच?
- अभी शुरुआती जांच (प्री-एसआईआर) चल रही है, जिसमें हर बीएलओ को रोजाना 30 मतदाताओं के घर जाकर उनके नाम का मिलान करना होता है।
- यह काम इसी महीने के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है, जिसके बाद मुख्य जांच शुरू होगी।
- इस पूरी प्रक्रिया को निष्पक्ष बनाने के लिए राजनीतिक दलों की भी मदद ली जाएगी, ताकि कोई भी गड़बड़ी न हो और किसी पर कोई आरोप न लगे।
तो अगर कोई बीएलओ आपके घर जानकारी लेने आए, तो यह इसी बड़ी जांच का हिस्सा है, जिसका मकसद वोटर लिस्ट को पूरी तरह से साफ-सुथरा और सटीक बनाना है।
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