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बिहार की राजनीति में पप्पू यादव, कन्हैया कुमार और तेजस्वी यादव के बीच टकराव पुराना है। यह मुद्दा अक्सर इसलिए जोर पकड़ता है क्योंकि ये तीनों नेता एक ही राजनैतिक मंच—महागठबंधन—में होते हुए भी अपने अलग तरीके से सामने आते हैं।

 सियासी अंतर और मंच की महत्वाकांक्षा


लालू परिवार की रणनीति में तेजस्वी यादव को अगुआ चेहरा माना जाता है। इसी वजह से अक्सर पप्पू और कन्हैया को महागठबंधन रथ से दूरी बनाए रखी जाती है—चाहे वह बिहार बंद हो या कोई बड़ी रैली, वीडियो सामने आ चुके हैं जहाँ दोनों को वैन या रथ पर चढ़ने से रोका गया  ।

 सीएम फेस को लेकर टकराव


पप्पू यादव ने साफ कहा है कि सीएम चेहरा महागठबंधन की बैठक में तय होगा, न कि तेजस्वी के सामने झुककर  । कन्हैया ने भी इस पर गोल-मोल जवाब दिए, जिससे मनमुटाव दिखाई देता है  ।

 लालू-लालू परिवार की रणनीति


राजनीतिक जानकार मानते हैं कि लालू परिवार महागठबंधन में किसी दूसरे यादव को तेजस्वी के सामने चुनौती नहीं बनने देना चाहता। इसी कारण पप्पू और कन्हैया को अक्सर किनारे कर दिया जाता है  ।

अखबारों-सोशल मीडिया में टकराव


पप्पू ने तेजस्वी को “बहुत अधीर” बताते हुए कहा है कि तेजस्वी में उनके पिता जितना धैर्य नहीं है  । वहीं तेजस्वी ने मीडिया या सियासी घटनाओं में कतरापन दिखाकर अपने चेहरे को सामने बनाए रखा है।

सार में—ये विवाद इसीलिए हर बार उभरता है क्योंकि तीनों नेता एक ही गठबंधन में होते हुए भी सीएम चेहरा, राजनीति की दिशा, और मंच पर प्रमुखता को लेकर उलझते रहते हैं। महागठबंधन में नेतृत्व, स्थान और संवाद—इन सबका सवाल जब सिर उठाता है, तब पुरानी तल्खी भी सामने आ जाती है।
 

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