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Up Kiran, Digital Desk: आंध्र प्रदेश के तिरुमला में वार्षिक ब्रह्मोत्सव के पांचवें दिन एक अद्भुत और दिव्य नज़ारा देखने को मिला, जब भगवान मलयप्पा स्वामी अपने सबसे प्रिय वाहन, गरूड़ पर सवार होकर भक्तों को दर्शन देने निकले। इस भव्य 'गरूड़ वाहन सेवा' को देखने के लिए तिरुमला की चारों माडा सड़कें भक्तों के विशाल जनसैलाब से खचाखच भर गईं।

सोमवार की रात, भगवान वेंकटेश्वर के चल विग्रह, भगवान मलयप्पा स्वामी को विशेष रूप से सजाया गया। उन्हें बेशकीमती 'मकर कंठी', 'लक्ष्मी कासुला हरम' और 'वेंकटेश्वर सहस्रनाम माला' जैसे दिव्य आभूषणों से अलंकृत किया गया, जो साल में सिर्फ इसी ख़ास मौके पर पहनाए जाते हैं। जब भगवान अपने प्रिय गरूड़ पर बैठकर निकले, तो पूरा माहौल 'गोविंदा! गोविंदा!' के जयकारों से गूंज उठा।

यह ब्रह्मोत्सव का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है, क्योंकि गरूड़ को भगवान विष्णु का सबसे करीबी भक्त और वाहन माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन गरूड़ पर सवार भगवान के दर्शन करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सौभाग्य आता है।

भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए, तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ने सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए थे। माडा सड़कों पर बनी गैलरियों में भक्तों के बैठने के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी ताकि हर कोई इस दिव्य पल का साक्षी बन सके। यह एक ऐसा दृश्य था जहां भक्ति और आस्था का सागर हिलोरें मार रहा था।