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Up Kiran, Digital Desk: बिहार विधानसभा में वोटर लिस्ट (मतदाता सूची) के संशोधन को लेकर जारी गतिरोध चौथे दिन भी बरकरार रहा। विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश जारी रखी, जिसके चलते सदन की कार्यवाही लगातार बाधित हो रही है और बहस व विधायी कार्य प्रभावित हो रहे हैं।

क्या है विवाद? विवाद का मुख्य बिंदु मतदाता सूची में कथित गड़बड़ियां और उसके संशोधन की प्रक्रिया है। विपक्ष का आरोप है कि मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हैं, जिसमें बड़ी संख्या में वैध मतदाताओं के नाम हटा दिए गए हैं, जबकि कई फर्जी नामों को शामिल किया गया है। विपक्ष मांग कर रहा है कि इस प्रक्रिया में पारदर्शिता लाई जाए, हटाए गए नामों की उचित जांच हो, और भविष्य में ऐसी गड़बड़ियों को रोकने के लिए पुख्ता कदम उठाए जाएं। उनका यह भी आरोप है कि सरकार इस मुद्दे पर गंभीर नहीं है और जानबूझकर पारदर्शिता से बच रही है।

सदन में हंगामा: चौथे दिन भी विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष के सदस्य अपनी सीटों से उठकर नारेबाजी करने लगे। उन्होंने सरकार पर वोटर लिस्ट में हेराफेरी का आरोप लगाते हुए जवाबदेही की मांग की। विपक्ष के सदस्यों ने पोस्टर लहराए और नारे लगाए, जिसके कारण अध्यक्ष को कई बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। सरकार की ओर से भी आरोपों का खंडन किया जा रहा है और प्रक्रिया को पारदर्शी बताया जा रहा है, लेकिन विपक्ष संतुष्ट नहीं है।

यह हंगामा ऐसे समय में हो रहा है जब राज्य में आगामी चुनावों की तैयारियां चल रही हैं, और मतदाता सूची का मुद्दा सीधे चुनाव की निष्पक्षता से जुड़ा है। विपक्ष इस मुद्दे को जनता के बीच ले जाने की भी तैयारी कर रहा है।

राजनीतिक मायने: यह गतिरोध बिहार की राजनीतिक गर्मी को और बढ़ा रहा है। विपक्ष चाहता है कि सरकार इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण दे और ठोस कार्रवाई का आश्वासन दे, जबकि सत्तारूढ़ दल विपक्ष के आरोपों को राजनीति से प्रेरित बता रहा है। विधानसभा में जारी यह गतिरोध बिहार की राजनीति में आने वाले दिनों में और भी तेज होता दिख रहा है, और इसका सीधा असर राज्य की राजनीतिक स्थिरता और आगामी चुनावी रणनीति पर पड़ सकता है।

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